हाल के महीनों में शानदार उछाल दर्ज करने वाले 37,390 करोड़ रुपये के गोल्ड ईटीएफ में निवेश और बढ़ने की संभावना है। इसकी वजह इस धातु के लिए मजबूत परिदृश्य के बीच दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) के फायदे मिलना है। इससे म्युचुअल फंड (एमएफ) की पेशकशों में ‘स्मार्ट’ मनी आ रहा है।
‘स्मार्ट’ मनी को मौके की तलाश वाले पूंजी निवेश के तौर पर भी जाना जाता है। यह ऐसा रणनीतिक निवेश होता है जो आमतौर पर अल्पावधि के लिए आता है। प्लान अहेड वेल्थ एडवायजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विशाल धवन ने कहा, ‘छोटी अवधि के कारण गोल्ड ईटीएफ उन निवेशकों के लिए ज्यादा बेहतर हो गया है जो कम समय के लिए खरीदारी और बिक्री की संभावना तलाशते हैं।’
बजट में घोषित नए कर नियमों के अनुसार गोल्ड ईटीएफ से एक साल में होने वाले लाभ उस पर 12.5 प्रतिशत का एलटीसीजी कर लगेगा। अप्रैल 2023 में हटाए जाने के बाद एलटीसीजी लाभ इस साल फिर से दिया गया है। हालांकि इस बार एलटीसीजी के लिए होल्डिंग अवधि 3 साल की अनिवार्यता से काफी कम है जो मार्च 23 तक लागू थी।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में कमोडिटी प्रमुख और फंड प्रबंधक विक्रम धवन ने कहा, ‘हाल के महीनों में निवेश बढ़ा है लेकिन यह पारंपरिक स्वर्ण बाजार का मजह छोटा सा हिस्सा है। पारंपरिक बाजार लगभग 3-4 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। फंडों के रास्ते और कर ढांचे में बदलाव और सकारात्मक परिदृश्य से भविष्य में ईटीएफ में ज्याद निवेश की संभावना है।’
अगस्त में गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़कर 1,611 करोड़ रुपये की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया। विश्लेषकों का कहना है कि रिटेल निवेश का प्रवाह भी तेज हो सकता है, लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि सरकार सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों (एसजीबी) बंद करती है या नहीं। उनका कहना है कि एसजीबी पर मिलने वाला अतिरिक्त ब्याज उन्हें ईटीएफ के मुकाबले ज्यादा आकर्षक विकल्प बनाता है।
आनंद राठी वेल्थ में उप मुख्य कार्याधिकारी फिरोज अजीज ने कहा, ‘जहां गोल्ड ईटीएफ 12 महीने की अपनी संक्षिप्त एलटीसीजी होल्डिंग अवधि की वजह से आकर्षक लग सकते हैं, वहीं एसजीबी अब भी कई निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प बने हुए हैं। एसजीबी सोने की कीमतों में संभावित वृद्धि का न सिर्फ लाभ मुहैया कराते हैं बल्कि 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज और परिपक्वता पर पूंजीगत लाभ पर कर छूट भी प्रदान करते हैं।’
धवन ने कहा कि निवेशकों को अल्पावधि के नजरिए से सोने में निवेश करने के लिए एलटीसीजी कराधान की कम होल्डिंग अवधि से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर सोने में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए 1 वर्ष या 2 वर्ष की समय-सीमा ठीक नहीं है। यह दीर्घावधि के लिए है।’ एक साल की एलटीसीजी होल्डिंग अवधि सिर्फ गोल्ड ईटीएफ के लिए लागू है क्योंकि गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) दो वर्ष बाद ही कराधान के पात्र होंगे।
रुपी विद रुषभ के संस्थापक ऋषभ देसाई ने कहा कि कर के लिहाज से अच्छा न होने के बावजूद खुदरा निवेशकों को एफओएफ विकल्प को प्राथमिकता देनी चाहिए।
देसाई ने कहा, ‘चूंकि ईटीएफ का कारोबार एक्सचेंजों पर होता है। इसलिए गोल्ड ईटीएफ खुदरा निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं हो सकता है, क्योंकि कीमतें मांग-आपूर्ति के समीकरण से जुड़ी हैं। ऊंची मांग इन यूनिट की कीमतें संबंधित परिसंपत्तियों की वैल्यू से ऊपर पहुंचा सकती है। कभी कभी इनकी कीमत कम भी हो सकती है, जिससे बाहर निकलने वाले निवेशकों को नुकसान हो सकता है। फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) इस जोखिम से कम प्रभावित होते हैं।’