‘अनाज वाले एथनॉल के पक्ष में भेदभाव’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:38 PM IST

चीनी कंपनियों ने कहा है कि 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का बहुचर्चित कार्यक्रम अधर में लटक सकता है। उनका आरोप है कि तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अनाज से उत्पादित एथनॉल का पक्ष लेने के लिए गन्ने से उत्पादित एथनॉल के साथ भेदभाव बरत रही हैं। उनका कहना है कि हाल के कुछ खरीद टेंडरों से यह पता चलता है।
बहरहाल एक ओएमसी के वरिष्ठ अधिकारी ने साफ किया कि संतुलन स्थापित करने की कवायद की जा रही है, क्योंकि एथनॉल की इस समय की आपूर्ति गन्ने पर बहुत ज्यादा निर्भर है। सार्वजनिक क्षेत्र की एक तेल कंपनी में एथनॉल मिलाए जाने का प्रभार देख रहे एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा,  ‘इस समय करीब 85 प्रतिशत एथनॉल गन्ने से आता है जबकि शेष 15 प्रतिशत में ज्यादातर मक्के से बना एथनॉल होता है। एथनॉल की आपूर्ति के स्रोत में ज्यादा संतुलन लाने कवायद की जा रही है, जिससे गन्ने पर बहुत ज्यादा निर्भरता न रहे। यही वजह है कि मक्के के एथनॉल को ज्यादा तरजीह दी जा रही है।’
बहरहाल प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर चिंता जताने के बाद चीनी मिलों ने हाल में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की आम सभा (एजीएम) की बैठक में इस मसले को एक बार फिर उठाया है।
एजीएम को संबोधित करते हुए इस्मा के अध्यक्ष नीरज शिरगांवकर ने आरोप लगाया कि 27 अगस्त को निकाला गया ओएमसी का रुचि पत्र (ईओआई) उन लोगों को बहुत निराश करने वाला है, जिन्होंने गन्ने से एथनॉल के उत्पादन में क्षमता बढ़ाने पर निवेश किया है। साथ ही यह देश के चीनी उत्पादक इलाकों के लिए निराशाजनक है।
शिरगांवकर ने कहा, ‘अगर एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में किए जा रहे भेदभाव और हतोत्साहित करने की नीति में तत्काल सुधार नहीं किया जाता है तो हमे एथनॉल मिलाने के कार्यक्रम के पटरी से उतरने को लेकर डर है, जिसे पिछले 5-6 साल में बहुत खूबसूरती से किया गया है। भेदभाव होने से प्रधानमंत्री द्वारा 2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्षमता नहीं स्थापित हो पाएगी।’
चीनी कंपनियों ने आरोप लगाया है कि खाद्य मंत्रालय ने 800-900 एथनॉल परियोजनाएं स्थापित करने या मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार करने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, वहीं ओएमसी अपनी सूची बना रही है और अलग से बोली निकाल रही हैं। उन्होंने 135 एथनॉल परियोजनाओं को एथनॉल उत्पादन के लिए चिह्नित किया है। बहरहाल चिंता की बात है कि इन 135 परियोजनाओं में से सिर्फ आधी को खाद्य मंत्रालय से मंजूरी मिली है।
एथनॉल परियोजनाओं को कर्ज देने के लिए दिशानिर्देश व एसओपी में खाद्य मंत्रालय से मंजूरी के साथ ओएमसी से दीर्घावधि द्विपक्षीय समझौते की शर्त रखी गई है। शिरगांवकर ने कहा कि ऐसे में इस समय इस समय 65-70 परियोजनाओं से ज्यादा नहीं हैं, जिन्हें दोनों मंजूरियां मिली हों।
उन्होंने कहा कि अगर 65-70 उत्पादकोंं की नई चुनी गई सूची में से कुछ परियोजनाएं विश्वसनीय नहीं पाई जाती हैं तो स्थिति और खराब हो जाएगी और इस तरह से बैंंक ऋण नहीं मिल सकेगा। चीनी मिलों ने आरोप लगाया है कि इससे देश में एथनॉल उत्पादन की क्षमता बनाने को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य 2025 तक हासिल करने के लिए भारत को 100 से 110 लाख लीटर एथनॉल उत्पादन क्षमता की जरूरत होगी, जिसमें से 60 से 65 लाख टन गन्ने से आएगा और शेष योगदान मक्के व अन्य अनाजों से बने एथनॉल स्रोतों का होगा।
इस समय भारत की कुल एथनॉल उत्पादन क्षमता करीब 60 लाख लीटर है, जिसमें से 5.25 अरब लीटर उत्पादन गन्ने से, जबकि 0.75 अरब लीटर उत्पादन मक्के की डिस्टिलरीज से होता है।

First Published : December 23, 2021 | 11:25 PM IST