आर्थिक मंदी के कारण स्टील निर्माण के लिए कच्चे माल के तौर पर प्रयुक्त होने वाले लौह अयस्क के निर्यात में 13.31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
एक अप्रैल से 15 दिसंबर के बीच भारत के लौह अयस्क का कुल निर्यात घट कर 558 लाख टन रह गया जबकि पिछल वर्ष की समान अवधि में यह 643.8 लाख टन था।
हालांकि, फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनेरल्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसरर, दिसंबर के पहले पखवाड़े में लदाई में मामूली 3.81 प्रतिशत की कमी आई और यह 50 लाख टन रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 52 लाख टन था।
ओलंपिक खेलों की समाप्ति के बाद चीन के स्टील मिलों के धीरे-धीरे खलने से लौह अयस्क के ऑर्डर में तेजी आई। ओलंपिक खेलों के दौरान चीन के विभिन्न मिलों को पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया था।
गोवा मिनेरल ओर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव ग्लेन कलावंपारा ने कहा कि ऑर्डर में तेजी के बावजूद पिछले साल के स्तर को प्राप्त करना काफभ् कठिन है।
दिसंबर के पहले पखवाड़े में गोवा के मोरमुगावो बंदरगाह पर कुल लदाई में 27.18 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह 208.4 लाख टन रहा जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 286.2 लाख टन था।
गोवा के निर्यातक प्रमुख रूप से कर्नाटक और गोवा के निम्स्तरीय लौह अयस्क की लदाई चीनी स्टील मिलों के लिए करते हैं। गोवा के अग्रणी लौह अयस्क खननकर्ता और निर्यातक कंपनी एचएल नाथुरमल ऐंड कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी हरेश मेलवानी के अनुसार निर्यात को तीन प्रमुख कारकों ने प्रभावित किया है।
इनमें फाइन्स और लंप्स (लौह अयस्क के दो ग्रेड जिनमें लोहे की मात्रा क्रमश: 64 प्रतिशत से कम और अधिक होती है) के निर्यात शुल्क में जल्दी-जल्दी बदलाव, चीन की मांग में कमी और सरकारी नीति अनुकूल होने की वजह से खरीदारों का ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील का रुख करना शामिल हैं।
मेलवानी ने यह भविष्यवाणी भी की कि इस वित्त वर्ष में गोवा के लौह अयस्क निर्यात में लगभग 25 प्रतिशत की कमी आएगी और यह 200 लाख टन के आस पास रहेगा जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 260 लाख टन था।
इसी तरह कर्नाटक और गोवा वाले लौह अयस्क के निर्यात में भी कमी आ सकती है। यह घट कर 300 लाख टन हो सकता है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 400 लाख टन था।
पिछले साल सरकार ने 300 रुपये प्रति टन का निर्यात शुल्क लगाया था जो केवल लंप्स तक ही सीमित था। फिर, फाइन्स को भी इस दायरे में ले आया गया। लेकिन खनन उद्योग के भारी प्रतिरोध के बाद इसे हटा दिया गया।
आरंभिक संकेतों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की नैशनल मिनेरल्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी) की बिक्री में दिसंबर के दौरान 35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई ।
जबकि नवंबर और अक्टूबर में क्रमश: 65 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। एनएमडीसी जिसकी वार्षिक क्षमता 310 लाख टन से अधिक की है प्रमुख रूप से देसी स्टील मिलों को लौह अयस्क बेचती है।