सीटीटी की दर में कटौती के संकेत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:44 PM IST

वित्त मंत्रालय कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) की दर में कटौती कर सकता है। इस साल के बजट में प्रस्तावित सीटीटी की बाबत अभी नोटिफिकेशन जारी किया जाना बाकी है, लेकिन संसद ने अप्रैल में ही इसे मंजूर कर लिया है।


विपक्षी दलों के साथ-साथ कृषि मंत्री शरद पवार व प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद इस टैक्स के खिलाफ हैं, लिहाजा अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं हो पाया है। पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इस टैक्स में कटौती करने की बात कही है।

कमोडिटी के फ्यूचर व ऑप्शन पर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (0.017 फीसदी) प्रति एक लाख रुपये के कारोबार पर 17 रुपये लगेगा जबकि सिर्फ ऑप्शन पर इसकी दर (0.125 फीसदी) प्रति लाख 125 रुपये होगी।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का कहना है कि भारत के अपेक्षाकृत नए कमोडिटी बाजार के लिए प्रस्तावित सीटीटी की दर काफी अधिक है, ऐसे में अगर सीटीटी लागू किया गया तो यहां का कमोडिटी कारोबार विदेशी बाजार में शिफ्ट कर जाएगा।

भारत के विभिन्न कमोडिटी एक्सचेंज और इसके रेग्युलेटर वायदा बाजार आयोग ने भी इस टैक्स के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। इनका कहना है कि सीटीटी लागू होने से कारोबार की लागत करीब 800 फीसदी बढ़ जाएगी। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में प्रस्तावित दर पर सीटीटी को लागू किए जाने की संभावना नहीं है।

ऐसे में या तो इसकी दर कम की जाएगी या फिर इसे लंबे समय तक रोके रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सीटीटी की बाबत मांग को देखते हुए मंत्रालय इसकी दर कम कर सकता है। यह कार्य अधिसूचना के माध्यम से अंजाम दिया जाएगा। इस संबंध में अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में कोई फैसला लिया जा सकता है, जब चार जिंसों (सोया तेल, आलू, चना और रबर) के वायदा कारोबार पर लगी पाबंदी की अवधि समाप्त हो जाएगी।

यह पाबंदी बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिहाजा से लगाई गई थी। इसके अलावा इस साल के खरीफ उत्पादन का अनुमान भी अक्टूबर में ही लगाया जा सकेगा। वित्त मंत्रालय को आशा है कि अच्छे मानसून के चलते जिंस बाजार पर असर पड़ेगा और कीमतें कम होंगी।

उधर, दूसरी ओर कमोडिटी बाजार के कारोबारियों का कहना है कि सीटीटी लागू किए जाने से पहले इस बाजार को परिपक्व होने का मौका दिया जाना चाहिए। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के सदस्य निर्मल के. अग्रवाल ने कहा कि कम से कम इस साल सीटीटी नहीं लागू किया जाना चाहिए। अगर यह लागू किया गया तो कमोडिटी कारोबार पर इसका असर पड़ना लाजिमी है।

First Published : August 20, 2008 | 12:57 AM IST