वर्ष 2008-09 के बजट में प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स के लागू जाने की बाबत अगर सूत्रों की मानें तो इस साल अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि व्यापारियों के इस विरोध के बावजूद कि जिंस कारोबार कर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) के कारण अवैध व्यापार बढ़ेगा, सरकार द्वारा सीटीटी को लेकर इस साल अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि वायदा बाजार में सरकार द्वारा सीटीटी को अधिसूचित किए जाने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह सीटीटी को लेकर आगे न बढ़े।
संसद ने पहले ही वर्ष 2008-09 का बजट पारित कर दिया है, जहां प्रस्ताव है कि 0.017 प्रतिशत का जिंस कारोबार कर (सीटीटी) लगाया जाए। हालांकि इस बारे में अधिसूचना अभी जारी की जानी बाकी है। सूत्रों के अनुसार ताइवान को छोड़कर दुनिया के किसी भी हिस्से में सीटीटी मौजूद नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि ताइवान में भी जिंस का वायदा कारोबार स्टॉक एक्सचेंज के जरिए किया जाता है, जहां एक्सचेंज के कारोबार में जिंसों का योगदान केवल 0.03 प्रतिशत है।
सूत्रों ने कहा कि जब 99.9 फीसदी विश्व बाजार में सीटीटी नहीं है तो भारत को भी ऐसे किसी टैक्स की आवश्यकता नहीं है। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में अन्य वस्तुओं के मुकाबले जिंसों पर टैक्स सर्वाधिक है। वास्तव में आयकर के बाद अधिकांश राजस्व जिंसों पर लगाए गए टैक्स से प्राप्त होता है।
देश में सीमा शुल्क, बिक्री कर, उत्पाद शुल्क के अलावा कई अन्य स्थानीय लेवी जिंसों पर लगाए जाते हैं, जिसका असर उत्पाद पर आता है और जिसका भुगतान उपभोक्ताओं को ही करना होता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि सीटीटी की तुलना सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) से नहीं की जा सकती। जिंस शेयर नहीं है।
उन्होंने कहा कि जिंसों पर कोई भी टैक्स र का उसकी कीमतों पर प्रभाव होता है। विशेषज्ञ ने कहा कि अगर सीटीटी लगाया जाता है तो मध्यस्थ बाजार से भाग जाएंगे क्योंकि उनकी अधिकांश आय टैक्स के भुगतान में चली जाएगी।
मध्यस्थ व्यापार का सीधा मतलब जोखिम रहित मुनाफा है, जो जिंस व्यापारियों की रोजी-रोटी है। उद्योग चैंबर सीआईआई द्वारा कराए गए एक अध्ययन में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए हैं। अध्ययन में कहा गया है कि सीटीटी के लागू होने के सात दिनों के भीतर तीन राष्ट्रीय एक्सचेंजों और 19 क्षेत्रीय एक्सचेंजों में कारोबार का आकार 59 प्रतिशत तक घट जाएगा।