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भारी बारिश और चक्रवात मोंथा से कपास उत्पादन 2% घटने का अनुमान, आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद

इस गिरावट का मुख्य कारण खेतों में अधिक वर्षा, कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात और तूफान मोंथा के चलते फसल को हुआ नुकसान बताया जा रहा है

Last Updated- November 12, 2025 | 6:02 PM IST
India cotton Production

Cotton Production: रकबे में कमी, भारी बारिश और चक्रवात मोंथा का असर कपास उत्पादन पर पड़ने की आशंका है। भारत में कपास का उत्पादन दो फीसदी घटकर 305 लाख गांठ तक रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। देश में कम उत्पादन और आयात शुल्क शून्य होने के चलते इस साल कपास का आयात रिकॉर्ड स्तर पर जा सकता है।

कपास उत्पादन घटने का अनुमान

भारतीय कपास संघ (CAI) ने कपास सीजन 2025-26 के लिए 305 लाख बेल्स कपास उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 312 लाख गांठ (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम) था। इस गिरावट का मुख्य कारण खेतों में अधिक वर्षा, कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात और तूफान मोंथा के चलते फसल को हुआ नुकसान बताया जा रहा है।

सीएआई के मुताबिक 2025-26 में कुल कपास की आपूर्ति 410.59 लाख गांठ बेल्स रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल की 392.59 लाख गांठ से ज्यादा है। इसमें स्टॉक और आयात में बढ़ोतरी का अहम योगदान है।

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आयात में भारी वृद्धि से कुल आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद

भले ही घरेलू उत्पादन में गिरावट आई हो, लेकिन आयात में भारी वृद्धि से कुल आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है। इस साल अक्टूबर-दिसंबर 2025 के बीच लगभग 30 लाख गांठ कपास का आयात होने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में तीन गुना अधिक है। पूरे साल के दौरान आयात 45 लाख गांठ तक पहुंच सकता है, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर होगा। वर्ष के अंत तक कपास पर आयात शुल्क शून्य होने से मिलों ने बड़ी मात्रा में विदेशी कपास की बुकिंग की है। पिछले साल जब 11 प्रतिशत शुल्क लागू था, तब वार्षिक आयात 41 लाख गांठ पर सीमित रहा था।

बारिश और चक्रवाती तूफान मोंथा से कपास को नुकसान

इस साल लगभग 330-340 लाख गांठ की ज्यादा पैदावार की उम्मीद थी। लेकिन पिछले महीने हुई ज्यादा बारिश और चक्रवाती तूफान मोंथा के कारण, फसल को कुछ नुकसान हुआ है और कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है।

सीएआई अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा ने कहा कि देश में कपास की खपत कम हो रही है। एक अक्टूबर को 60.50 लाख गांठ ओपनिंग स्टॉक है। इस साल पिछले साल से 2 फीसदी उत्पादन कम होगा। इस साल कॉटन का रिकॉर्ड इंपोर्ट होने की उम्मीद है। आयात 25 लाख गांठ रहने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि मैन मेड फाइबर पर उत्पादन ज्यादा हो रहा है। मिलो के 4 महीनों की खपत के बराबर का क्लोजिंग स्टॉक रहेगा। बीते 2 सालों में 35 लाख गांठ कपास का आयात हुआ। मैन मेड फाइबर पर टैक्स कम होने से मिलें ज्यादा बना रही है। क्लीन कॉटन बनाने में लागत 200 रुपये आती है जबकि विस्कोस बनाने की लागत 145 रुपये आती है।

First Published - November 12, 2025 | 5:58 PM IST

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