उधारी के सहारे कपास निगम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:29 PM IST

घरेलू कपास की खरीद के लिए सरकार की विपणन संस्था भारतीय कपास निगम (सीसीआई) इस सत्र में कपास की खरीद के लिए बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने का रिकॉर्ड बनाने जा रही है।
यह सीसीआई द्वारा कपास की खरीद हेतु लिया गया सबसे बड़ा कर्ज होगा। जबसे सीसीआई को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद की जिम्मेदारी बढ़ाई गई है, उसके  पैसे की जरूरत में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है।
निगम इस साल कपास वर्ष में (अक्टूबर-सितंबर सत्र में) 100 लाख गाठों से ज्यादा (एक गांठ 170 किलो) की खरीद करेगा। इस समय निगम जितने कपास की खरीद कर रहा है वह 2004-05 में किए गए 27.5 लाख गांठ की तुलना में करीब चार गुना ज्यादा होगा।
सीसीआई के प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर ने कहा कि इस साल 100-125 लाख गांठें कपास खरीदने के लिए हमें 15,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। बैंकों से पैसे लेने के लिए हमने आवेदन कर दिया है और इसके जवाब में हमें कैश क्रेडिट लिमिट के बारे में बैंकों से जानकारी मिल गई है। हम शेष राशि के लिए निर्धारित समय में कभी भी हासिल कर लेंगे।
वैश्विक मंदी का कपड़ा उद्योग पर प्रभाव को देखते हुए सीसीआई ने अनुमान लगाया है कि अगर खरीदी गई कपास जल्द नहीं बेची जा सकी तो निगम को और पैसे की जरूरत पडेग़ी, जिससे स्टॉक का संरक्षण किया जा सके।
ग्रोवर ने कहा कि हम पूरी खरीद नकद करते हैं, उधारी पर कुछ भी नहीं। हमने पहेले ही 8500 करोड़ रुपये उधार लिए हैं और आने वाले दिनों में अभी 500 करोड़ रुपये की और जरूरत है। इस तरह से मेरा मानना है कि कुल उधारी 9,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगी, जबकि कैश क्रेडिट लिमिट 15,000 करोड़ रुपये की है।
सीसीआई इस साल 34 लाख गांठ कपास बेचने में सफल हुआ है, जबकि इस साल की खरीद 82 लाख गांठें थीं। इसकी बिक्री की वजह से उधारी पर निर्भरता थोड़ी कम हुई है।
सीसीआई के लिए कपास वर्ष 2008-09 चुनौतियों से भरा रहा है और उसे कभी भी इतनी मात्रा में कपास नहीं जमा करना पड़ा है। इसके साथ ही निगम विश्व की पहली ऐसी एजेंसी बन गई है जिसने 100 लाख गांठ कपास का भंडार जमा किया है।

First Published : March 10, 2009 | 5:15 PM IST