उत्पादन कम होने से मार्च तक 20 फीसदी बढ़ सकती हैं कॉफी की कीमतें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 4:07 AM IST

विश्व के दूसरे सबसे बड़े कॉफी उत्पादक ब्राजील में भी उत्पादन कम होने और रोस्टर्स (कॉफी के बीज भूनने वाले) द्वारा भंडार का पुनर्निर्माण किए जाने के कारण पांच वर्षों में पहली बार रॉबस्टा कॉफी के उत्पादन में कमी आने की संभावना है।


 इस वजह से मार्च 2009 तक इसकी कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष कृष्णा राव ने कहा कि कीमतों में वर्तमान स्तर से 400 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हो सकती है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रॉबस्टा कॉफी उत्पदक है।

कड़वे स्वाद वाले रॉबस्टा कॉफी, जिसका इस्तेमाल इन्सटैंट कॉफी में किया जाता है, की कीमतों में पिछले महीने आठ वर्षों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई जिसकी वजह मंद होते वैश्विक विकास से मांगों के कम होने की आशंकाएं थीं। राव ने कहा कि दो सालों तक लगातार अच्छी फसल के उत्पादन के बाद मंदी के चक्र में फंसने की वजह से अगले साल ब्राजील के कॉफी उत्पादन में कमी आ सकती है।

राव ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में कीमतों में कमी आ सकती है।’ राव लंदन स्थित इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गेनाइजेशन (आईसीओ) के एक्जिक्यूटिव बोर्ड के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा, ‘कीमतों में तुरंत बढ़ोतरी नहीं हो सकती, लेकिन ऐसा निश्चित तौर पर संभव है कि वे वापस तीन महीने पहले के मूल्य-स्तर पर पहुंच जाएं।’

राव ने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी होने से रोस्टर्स फिर से अपना भंडार बढ़ाने की सोच सकते हैं। कीमतों में बढ़ोतरी होने से सबसे बड़े कॉफी उत्पादक नेस्ले एसए और क्राफ्ट फूड्स इंक की लागतों में वृध्दि हो सकती है।

ब्राजील के कॉफी एक्सपोर्टर्स काउंसिल के अनुसार, ब्राजील का कुल कॉफी उत्पादन 450 लाख बैग  (एक बैग = 60 किलो) से घट कर इस वर्ष 40 से 42 लाख बैग हो सकता है, इसमें रॉबस्टा और अरबिका दोनों ही शामिल हैं। ब्राजील में मुख्यत: अरबिका कॉफी का उत्पादन किया जाता है। वियतनाम रॉबस्टा कॉफी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

अंतरराष्ट्रीय मांग

राव ने कहा, ‘अगर मांग में बढ़ोतरी नहीं होती है तो ब्राजील और वियतनाम के उत्पादन में कमी से मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन आएगी।’ लंदन के लिफ्फे उक्सचेंज पर कल जनवरी डिलिवरी वाली रॉबस्टा कॉफी की कीमतें 0.3 प्रतिशत घट कर 1,819 डॉलर प्रति टन हो गईं।

इस महीने कीमतों में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और 26 कच्चे मालों वाले यूबीएस ब्लूमबर्ग सीएमसीआई इंडेक्स में इसका प्रदर्शन बेहतर रहा है। उल्लेखनीय है कि इसी अवधि में यूबीएस ब्लूमबर्ग सीएमसीआई इंडेक्स में 7.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कमोडिटी में 4.6 प्रतिशत की कमी आई है और यह 2003 के बाद की पहली वार्षिक गिरावट की ओर अग्रसर है।

आईसीओ ने पिछले हफ्ते कहा था कि कॉफी की वैश्विक खपत इस साल 1,280 लाख बैग होने की संभावना है जबकि आपूर्ति 1,182 लाख बैगों की होगी। इसने दोबारा अपनी भविष्यवाणी दोहराई कि साल 2008-09 में कॉफी का वैश्विक उत्पादन 1,310 लाख बैग का होगा जो पिछले वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है।

राव ने कहा, ‘पिछले साल की बची कॉफी उतनी महत्वपूर्ण नहीं है और जब कभी ब्राजील में बंपर फसल होती है तो कुछ परिमाण यह बचा कर रख लेता है।’ उन्होंने कहा कि विश्व के तीसरे सबसे बड़े कॉफी निर्यातक भारत में उत्पादन जून के 2,93,000 टन के आकलन से 10 प्रतिशत कम हो सकता है क्योंकि भारी बारिश से कॉफी की फसल को क्षति पहुंची है।

उन्होंने कहा कि वियतनाम और इंडोनेशिया से ब्लेंडिंग के लिए ग्रीन कॉफी का आयात कर फिर निर्यात करने ये कुल मिला कर आयात का कारोबार पहले जैसा ही रहना चाहिए। राव ने कहा कि इस महीने के अंत में बोर्ड फिर से नए आकलन की घोषणा करेगा।

First Published : November 19, 2008 | 10:35 PM IST