भारत का कॉफी निर्यात वर्ष 2008-09 में आठ से 10 प्रतिशत तक घट सकता है। दरअसल घरेलू खपत बढ़ रही है और अनिश्चित बारिश के कारण इसके उत्पादन में कमी आने की संभावना है।
कॉफी एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष रमेश राजा ने बताया कि कॉफी निर्यात में 8 से 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। दो अंकों में विकास करने वाले घरेलू बाजार से भारी मांग इस गिरावट में पर्याप्त योगदान दे रहा है। वर्ष 2007-08 में कॉफी निर्यात 2.10 लाख टन था।
राजा ने कहा कि सितंबर से दिसंबर की अवधि में निर्यात में शांति का दौर रह सकता है, जिसका एक कारण घरेलू उठान का बढ़ना भी है। हालांकि इसका लदान जनवरी के बाद बढ़ सकता है। उन्होंने मांग बढ़ने की वजह से काफी की घरेलू कीमतों में बढ़त होने की संभावना से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि दरें पहले से काफी उच्च स्तर पर हैं।
राजा ने कहा कि घरेलू कीमतें पहले से अधिक हैं। अगर वे इसे और बढ़ाते हैं तो उद्योग जगत स्थानीय विक्रेताओं से खरीदने के बजाय इसका आयात करना चाहेंगे। कॉफी बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार कॉफी का कुल प्राथमिक निर्यात कैलेंडर वर्ष के प्रथम सात महीनों में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले करीब छह प्रतिशत बढ़कर 1.50 लाख टन हो गया।
इस बीच जुलाई में अनिश्चित मानसून ने कॉफी उत्पादकों की चिंता को बढ़ा दिया है। हालांकि कॉफी बोर्ड का कहना है कि उसे अभी तक 29.3 लाख टन के उत्पादन लक्ष्य को फिर से बदलने का कोई कारण या अवसर नहीं है। कम बारिश को देखते हुए निर्यातक पांच प्रतिशत गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं।