केरल के इडुक्की जिले और तमिलनाडु के बोदीनायकनोर क्षेत्र में जहां इलायची की खेती की जाती है, वहां बारिश नहीं होने की वजह से नई फसल को लेकर किसानों की उम्मीदें कम हो गई हैं।
यह लगभग तय है कि सूखे जैसी स्थिति बनने की वजह से अगली फसल के सीजन के आने में 1-2 महीने की देरी हो ही जाएगी। इसके अलावा अगस्त महीने से ही फसल की कटाई शुरू हो पाएगी।
इलायची उत्पादकों के एसोसिएशन के अध्यक्ष के. एम. मिशेल के मुताबिक बहुत ज्यादा तापमान के बीच भी सामान्य दिनों के मुकाबले इस दफे तापमान में 4-5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो गई है। जहां भी इलायची की खेती की जाती है वहां फिलहाल दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के ऊपर ही है। इसकी वजह से इलायची फसल कमजोर हो रही है।
विशेषज्ञों का ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2009-10 के सीजन में इलायची किसानों को उनके उत्पादन में 30 फीसदी तक की कमी झेलनी पड़ सकती है। मसाला बोर्ड के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 सीजन का कुल उत्पादन 11,000 टन रहेगा।
वैसे गर्मी के दिनों में भी कुछ बारिश जरूर होती थी लेकिन इलायची की खेती वाले ज्यादातर क्षेत्रों उदुम्बानचोला, वंदान्मेदु, पुलियानमाला, पेरूमेदु और बोदीनायकानोर में पिछले 3-4 महीने से बारिश बिल्कुल नहीं हुई है। मौसम की मौजूदा स्थिति, दिन में बहुत ज्यादा तापमान और रात में ज्यादा कोहरा इलायची की खेती के लिए बेहतर नहीं होता।
दिन के समय 20-24 डिग्री सेल्सियस का तापमान इलायची के लिए बेहतर होता है। लेकिन मौसम की फिलहाल जो स्थिति दिख रही है उससे किसानों को बहुत बड़ा झटका लग रहा है। पिछले सीजन के दौरान किसानों को अपने उत्पादन के लिए बेहतर कीमत मिली थी मसलन उन्हें औसतन 500 रुपये प्रति किलोग्राम मिले थे।
इसी वजह से नए सीजन में भी उनकी उम्मीदें ज्यादा हैं लेकिन मौसम के मौजूदा हालात की वजह से किसान बिरादरी को निराशा हो रही है। एक बड़े किसान का कहना है कि जहां इलायची की खेती जहां होती है उन इलाकों में सूखे जैसी स्थिति बनने से लगभग 50 फीसदी तक फसल प्रभावित हो सकती है।
उनका कहना है, ‘पिछले साल की तरह ही हम बेहतर कीमत पाने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन सूखे जैसी स्थिति बनने की वजह से हमारी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है।’ अगर अगले 10-12 दिनों में बारिश के आसार नहीं दिखते तो आगे स्थिति और भी खराब हो सकती है। इससे इलायची उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। अब केरल और तमिलनाडु के सीमावर्ती इलाके में इलायची की खेती का भविष्य बारिश पर ही निर्भर करता है।