सरकार ने आज बहुप्रतीक्षित वाहन कबाड़ (स्क्रैपेज) नीति की घोषणा की। इसके तहत सरकार का लक्ष्य 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को स्क्रैप कर नए वाहन खरीदने पर प्रोत्साहन दिया जाएगा जबकि पुराने वाहनों के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जाएगा। यह अमेरिका और यूरोपीय देशों में ‘कबाड़ के लिए नकद योजना’ की तरह होगा। इस योजना को 2008-09 के आर्थिक संकट के दौरान नए वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किया गया था। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने कहा कि वाहन कबाड़ नीति से 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होने और 35,000 नए रोजगार पैदा होने की संभावना है।
गडकरी ने कहा, ‘इस योजना के जरिये एक साथ कई समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया गया है। इससे कारोबार और रोजगार बढ़ेगा, वहीं पुराने वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी कम होगा।’
वाहन निर्माता लंबे समय से सरकार से कारों और ट्रक मालिकों को अपने पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने और नया वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे थे। इस कदम से वाहन कंपनियों को बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस योजना के तहत अपनी ओर से सीमित प्रोत्साहन देने की बात कही है जबकि वाहन विनिर्माताओं पर भी प्रोत्साहन देने का भार डालने का प्रस्ताव किया गया है। महामारी और लॉकडाउन के दौरान मांग कम होने के बाद वाहन कंपनियां भी अपने स्तर से बिक्री बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। व्यक्तिगत वाहनों के अलावा इस नीति में व्यावसायिक वाहनों की मांग बढ़ाने पर भी ध्यान दिया गया है। इससे टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड और वोल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल जैसी कंपनियों को लाभ होगा।
गडकरी ने कहा कि उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कबाड़ नीति का लाभ लेने वाले ग्राहकों के लिए वस्तु एवं सेवा कर में रियायत देने का अनुरोध किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘हमने अनुमान लगाया है कि नए वाहनों की खरीद से 30 से 40 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। ऐसे में वस्तु एवं सेवा कर में रियायत देने की गुंजाइश बन सकती है।’
हालांकि उन्होंने कहा कि इस संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मामला जीएसटी परिषद पर निर्भर है। इस बारे में उद्योग जगत के एक अधिकारी ने कहा, ‘अब तक सरकार ने ग्राहकों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को पथ कर (रोड टैक्स) में कमी करने के लिए कहा है लेकिन वे ऐसा करेंगी या नहीं इसे लेकर पुख्ता तौर पर कुछ नहीं का जा सकता। केंद्र ने राज्यों को जीएसटी घटाने के लिए कहा है लेकिन राज्यों की वित्तीय हालत फिलहाल खराब है इसलिए उनके लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा। कुल मिलाकर ग्राहकों को प्रोत्साहन देने का सारा दारोमदार वाहन कंपनियों पर है, लेकिन कमाई के लिहाज से उनकी हालत पहले से ही खराब है।’ वाहन कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि ग्राहकों को प्रोत्साहन देना इस नीति का एक अहम हिस्सा है क्योंकि 15 और 20 वर्षों से अधिक उम्र के वाहन ज्यादातर ऐसे लोगों के पास हैं जो नई कार खरीदने को लेकर सतर्क हैं या फिर वरिष्ठ नागरिक हैं। महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक राजेश जेजुरीकर ने कुछ दिनों पहले कहा था, ‘मुझे नहीं लगता कि भारत में कोई व्यक्ति बिना किसी खास कारण के अपनी कार कबाड़ के तौर पर बेचेगा। चूंकि, ऐसा करना स्वैच्छिक होगा इसलिए जब तक प्रोत्साहन तगड़ा नहीं होगा वे अपनी कार हटाकर नई कार नहीं लेंगे।’