यूक्रेन पर रूस के सैन्य हमले से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति अवरुद्घ होने का डर पैदा हो गया है, जिस कारण 2014 के बाद पहली बार आज कच्चा तेल 105 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। हमले के कारण अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर कई तरह की पाबंदी लगा सकते हैं, जिससे तेल-गैस की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।
इसी चिंता में दिन के कारोबार के दैरान ब्रेंट क्रूड 9.5 फीसदी चढ़कर 105.08 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यूएस टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड भी करीब 8.5 फीसदी की तेजी के साथ 99.88 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई में जुलाई 2014 के बाद यह सबसे बड़ी उछाल है। यूबीएस के एक विश्लेषक ने कहा कि रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और दूसरा बड़ा तेल निर्यातक है। लेकिन कम भंडारण को देखते हुए वैश्विक तेल बाजार आपूर्ति में बड़ी रुकावट नहीं झेल पाएगा। आपूर्ति की चिंता से भी तेल के दाम में तेजी आई है। इसके साथ ही रूस यूरोप में प्राकृतिक गैस का भी सबसे बड़ा निर्यातक है और वहां की कुल मांग की करीब 35 फीसदी प्राकृतिक गैस देता है। युद्घ लंबा खिंचने से यूरोपीय देशों में गैस की भी किल्लत हो सकती है। जानकारों का कहना है कि महामारी के दौरान सुस्त मांग के बाद एकाएका तेल की मांग बढऩे से आपूर्ति पर पहले ही दबाव है और अब रूस-यूक्रेन मामले ने संकट और बढ़ा दिया है। मौजूदा हालात देखते हुए तेल के दाम में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है और दाम ऊपरी दायरे में ही रहेंगे। विश्लेषकों का कहना है जब तक ओपेक से अतिरिक्त तेल की आपूर्ति बहाल नहीं होती है तब तक ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर ही रह सकता है।
इस बीच तेल के दाम में तेजी से एशियाई देशों में मुद्रास्फीति का भी दबाव बढ़ सकता है। हालांकि भारत ने कहा कि रूस के हमले से आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि देश को पश्चिम एशिया, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका से आपूर्ति होती है। उन पर इस हमले का कोई असर नहीं हैं और वे पहले की तरह तेल तथा गैस की आपूर्ति करते रहेंगे।