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कृषि जिंस कारोबार पर एक साल और पाबंदी

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संजीब मुखर्जी
Last Updated- December 21, 2022 | 11:59 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने धान (गैर बासमती), गेहूं, चना, सरसों और इसके उत्पाद, सोयाबीन और इसके उत्पाद, कच्चे पाम ऑयल और मूंग के डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर एक और साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।

नियामक ने महंगाई दर उच्च स्तर पर बने रहने की स्थिति को देखते हुए मंगलवार को देर रात 20 दिसंबर, 2023 तक प्रतिबंध जारी रखने का आदेश पारित किया। पिछले साल नियामक ने 7 जिंसों के नए सौदे शुरू करने से एक्सचेंजों को प्रतिबंधित कर दिया था। साथ ही चल रहे सौदों में किसी नई पोजिशन को अनुमति देने से इनकार करते हुए सिर्फ चल रहे सौदों को पूरा करने की अनुमति दी थी। हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गई है, लेकिन अभी यह रिजर्व बैंक द्वारा तय ऊपरी सीमा से थोड़ी सी नीचे है।

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल प्रतिबंध के पहले एनसीडीईएक्स के कुल डिपॉजिट में अप्रैल 2021 से जुलाई 2021 के बीच उपरोक्त उल्लिखित जिंसों की हिस्सेदारी करीब 54 प्रतिशत थी, जिसमें कुल डिपॉजिट में चने की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत थी। डिलिवरी के हिसाब से भी लंबित जिंसों की हिस्सेदारी कुल डिलिवरी में करीब 55 प्रतिशत थी, जिसमें चने की सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। कारोबार लंबित होने की वजह से एनसीडीएक्स का तिमाही औसत के हिसाब से रोजाना का कारोबार वित्त वर्ष 2022 के 2,310 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 23 में 960 करोड़ रुपये रह गया और इसमें 58 प्रतिशत गिरावट आई है।

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एक्सचेंज ने कुछ महीने पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी थी। कोई असर नहीं फ्यूचर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध वाले 2 जिंसों के हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग से कीमतें बढ़ती हैं या इनका भविष्य का कारोबार रोकने से कीमतों में होने वाला उतार चढ़ाव कम होता है।
आईआईएम उदयपुर की प्रोफेसर निधि अग्रवाल, जिंदल स्कूल आफ गवर्नमेंट ऐंड पब्लिक पॉलिसी के तीर्थ चटर्जी और एक शोध छात्र करण सहगल ने इस सिलसिले में सरसों और चने पर अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए प्रतिबंधित जिंसों की कीमत में उतार-चढ़ाव का इससे कोई संबंध नहीं है और जिन जिंसों का डेरिवेटिव सेग्मेंट में कारोबार होता है, वह पोजिशन लिमिट, मार्जिन जरूरतों और रोजाना की मूल्य सीमा बंधे होते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि सरसों के तेल की कीमत की स्थिति यथावत बनी रही, जैसा कि कारोबार के निलंबन के पहले थी।

First Published : December 21, 2022 | 11:50 PM IST