भारत एवं चीन की सरकारों द्वारा कपास की आक्रामक खरीदारी से अमेरिका परेशान नजर आने लगा है। उसका कहना है कि इससे उसका निर्यात ‘निश्चित’ तौर पर प्रभावित होगा।
अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) ने एक रिपोर्ट में यह चिंता जाहिर की है। इसमें कहा गया है, ‘चीन एवं भारत ने अपने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए खरीदारी में नाटकीय बढ़ोतरी की है।
इसके भंडार के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन निश्चित रूप से इसका असर अमेरिकी निर्यात एवं कीमतों पर होगा।’
इसमे कहा गया है कि इस स्टॉक का महत्वपूर्ण हिस्सा बाजार से अलग रहे तो अमेरिकी कपास की मांग बढ़ेगी। हालांकि अगर यह भंडार जारी होता है तो इससे विशेषकर अमेरिकी कपास की मांग घटेगी और कीमतें प्रभावित होंगी। यूएसडीए के अनुसार भारत एवं चीन की अगले कुल महीनों में लगभग 2.5 करोड़ गांठ कपास खरीदने की योजना है।
भारतीय टेक्स्टाइल उद्योग के सूत्रों का हवाला देते हुए अमेरिकी ईकाई ने कहा है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को 117 लाख गांठ खरीदने के लिए अधिकृत किया गया है तो साल 2008 की फसल का आधा है। सीसीआई अब तक लगभग 36 लाख गांठों की खरीदारी कर चुकी है जो किसानों द्वारा बेचे गए कुल कपास का 49 प्रतिशत है।
जबकि चीन अपने 125 लाख गांठों के लक्ष्य में से 73 लाख गांठों की खरीदारी पहले ही कर चुका है। औद्योगिक सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पास पिछले सीजन का बचा हुआ 40 से 60 लाख गांठों का भंडार है।
सरकारी खरीद पर इसके संभावित प्रभावों के बारे में यूएसडीए ने कहा, ‘इन नीतियों से सवाल उठता है कि अगले विपणन वर्ष में कितने सरकारी भंडार को जोड़ा जाएगा और इन नीतियों का 2009 के उत्पादन पर क्या प्रभाव होगा?’
यूएसडीए के अनुसार, भारत का कपास उत्पादन साल 2009-09 में 4.16 प्रतिशत घट कर 230 लाख गांइ होने का अनुमान है जबकि चीन का उत्पादन अपरिवर्तित (पिछले साल जितना ही) 365 लाख गांठ होने का अनुमान है।