केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जल्द ही बजट 2025 पेश करने वाली हैं, और बीमा सेक्टर ने अपनी “चाहत लिस्ट” सरकार को भेज दी है। इस बार बीमा कंपनियां चाहती हैं कि स्वास्थ्य बीमा सस्ता और आसान हो जाए। चलिए, जानते हैं उनकी खास मांगें, जो आपकी जिंदगी को आसान बना सकती हैं।
टर्म इंश्योरेंस पर अलग टैक्स छूट की मांग
बीमा इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स चाहते हैं कि टर्म इंश्योरेंस पर अलग से टैक्स छूट मिले। पीबी फिनटेक के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा, “अगर टर्म इंश्योरेंस के लिए अलग टैक्स छूट मिलेगी, तो ज्यादा लोग अपने परिवार की सुरक्षा कर पाएंगे। इससे प्रोटेक्शन गैप भी कम होगा।” इसके अलावा, उन्होंने कहा कि धारा 80सी के तहत ₹1.5 लाख की सीमा बहुत कम है। गुप्ता ने आगे कहा, “टर्म इंश्योरेंस को अलग श्रेणी में डालने से वित्तीय योजना करना आसान होगा,”
प्रीमियम पर जीएसटी घटाने की मांग
क्या आप जानते हैं कि बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगता है? यह सुनकर ही जेब में छेद जैसा लगता है, है ना?
गुप्ता ने कहा, “प्रीमियम पर जीएसटी कम होने से बीमा उत्पाद सस्ते होंगे। यह सीधा फायदा आम जनता को देगा, खासकर कम आय वाले परिवारों को।”
धारा 80डी की सीमा बढ़ाने की सिफारिश
स्वास्थ्य बीमा महंगा लगता है? बीमा कंपनियों की मानें तो इसका समाधान बढ़ी हुई टैक्स छूट में है। गुप्ता ने सुझाव दिया, “धारा 80डी के तहत टैक्स छूट ₹50,000 तक बढ़ाई जाए और सीनियर सिटीज़न्स के लिए ₹1 लाख तक।”
गैलेक्सी हेल्थ इंश्योरेंस के सीईओ जी श्रीनिवासन ने भी इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा, “नए टैक्स सिस्टम में भी यह लागू होना चाहिए ताकि ज्यादा लोग बीमा ले सकें।”
बीमा कंपनियों के लिए नियम 6ई में बदलाव की मांग
बीमा कंपनियों का कहना है कि मौजूदा नियम उनके काम को मुश्किल बना रहा है। अभी प्रीमियम का सिर्फ 50% रिजर्व किया जा सकता है, जबकि “1/365” सिस्टम ज्यादा सटीक है। सरल भाषा में कहें, तो बीमा कंपनियां चाहती हैं कि प्रीमियम का हिसाब बचे हुए दिनों के आधार पर हो। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और बीमा कंपनियां अपने फंड को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगी।
एन्युटी टैक्सेशन में सुधार की मांग
पेंशन और रिटायरमेंट प्लान्स पर टैक्स लगना लोगों को बचत से रोकता है। राजीव गुप्ता ने कहा, “अगर एन्युटी की आय को टैक्स से छूट मिलेगी, तो रिटायरमेंट प्लान्स को अपनाने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।”
हेल्थ रेगुलेटर की दरकार
क्या आपने कभी सोचा है कि अस्पतालों का खर्च क्यों बढ़ता जा रहा है? बीमा कंपनियां कहती हैं कि मेडिकल महंगाई पर काबू पाने के लिए एक हेल्थ रेगुलेटर बनना चाहिए। बजाज आलियांज के सीईओ तपन सिंघल ने कहा, “मेडिकल महंगाई तीन साल में करीब 15% तक बढ़ जाती है। अस्पतालों की कीमतों को स्थिर करने के लिए रेगुलेटर जरूरी है।”
बीमा सेक्टर को बजट से बड़ी उम्मीदें
बीमा समाधान की सह-संस्थापक शिल्पा अरोड़ा का कहना है कि 2024 में बीमा सेक्टर ने शानदार ग्रोथ देखी। लेकिन महंगाई और कमजोर GDP जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, “सरकार को जीएसटी दरें घटाने और टैक्स इंसेंटिव्स बढ़ाने जैसे कदम उठाने चाहिए। इससे बीमा सेक्टर में नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।”
तो, बजट 2025 से क्या बीमा सस्ता होगा?
सभी की नजरें अब 1 फरवरी पर हैं, जब बजट पेश होगा। क्या सरकार इन मांगों को पूरा करेगी? अगर ऐसा हुआ, तो यह आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है।