Categories: बजट

वित्त वर्ष 2023 में खर्च घटाने पर रहेगा जोर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:37 PM IST

वित्त मंत्रालय ने कहा कि किसी भी सरकारी विभाग को अगले वित्त वर्ष के लिए बजट प्रस्ताव में छद्म तरीके से अतिरिक्त व्यय की मांग नहीं करनी चाहिए। इससे विभागों का काम कठिन हो जाता है क्योंकि बजट प्रस्ताव वित्तीय लेखा-जोखा होता है। ये योजनाओं या परियोजनाओं से जुड़ा हो सकता है लेकिन वित्तीय प्रतिबद्घता के बिना वे बेकार हो जाते हैं।
वित्त प्रबंधक नहीं चाहते हैं कि विभागों को उनकी मौजूदा परियोजनाओं और कार्यक्रमों पर किए गए खर्च के अधिक मौद्रिक मदद अगले वित्त वर्ष में दी जाए। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में आम बजट पेश करेंगी।
सरकार को यकीन है कि वित्त वर्ष 2022 में व्यय बिल में 3 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त जुड़ेंगे, जो पिछले साल के अनुमानित व्यय के करीब 9 फीसदी हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर सब्सिडी मद में होंगे।
सरकार के प्रबंधक वित्त वर्ष 2023 से पहले सब्सिडी को काबू में रख पाने के लिए आश्वस्त नहीं हैं। महामारी की वजह से एक साल में ही वित्त वर्ष 2020 से 2021 में सरकार का व्यय 30.8 फीसदी बढ़ गया है। अतिरिक्त 3 लाख करोड़ रुपये के व्यय को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2022 के अंत में खर्च होने वाली रकम दो साल में 40 फीसदी से भी अधिक हो जाएगी।
इसलिए वित्त मंत्रालय नए व्यय को मंजूरी देने के पक्ष में नहीं है। वित्त वर्ष 2022 में पहली बार केंद्र और राज्य का कर राजस्व सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 18 फीसदी से अधिक रह सकता है। वित्त वर्ष 2018 में कर राजस्व जीडीपी का 17.8 फीसदी था।
कुछ विभागों ने अतिरिक्त व्यय का प्रस्ताव भेजा था, जिसे वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया था।

First Published : December 26, 2021 | 11:30 PM IST