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वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2024-25 के भारत के बजट की सराहना की

घाटा कम करने के संकल्प को रेटिंग एजेंसियों ने सराहा

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- July 24, 2024 | 10:13 PM IST

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2024-25 के भारत के बजट को सराहा है और सरकार के घाटा कम करने की प्रतिबद्धता की भी सराहना की है। मूडीज रेटिंग्स ने कहा है कि बजट साख के लिए सकारात्मक है। मूडीज रेटिंग्स ने एक बयान में कहा, ‘सरकार का बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत खर्च कुल व्यय का लगभग 23 फीसदी है, हालांकि यह ब्याज भुगतान पर होने वाले 24 फीसदी खर्च से कम है।

कुल मिलाकर, बजट साख के लिए सकारात्मक है क्योंकि इससे राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 4.9 फीसदी पर रहने की उम्मीद है जो अंतरिम बजट में घोषित जीडीपी के 5.1 फीसदी से कम है। इससे वित्त वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 फीसदी घाटे के लक्ष्य को हासिल करने का सरकार का लक्ष्य संभव लग रहा है।’

एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि भारत का बजट, सरकार के राजकोषीय घाटा कम करने के प्रति प्रतिबद्धता की हमारी उम्मीद के अनुरूप है और कम केंद्रीय घाटे का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी के 7.9 फीसदी सामान्य सरकारी घाटे के हमारे पूर्वानुमान के अनुरूप है।

इसमें कहा गया, ‘पूंजीगत खर्च में 11.1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में कोई बदलाव न किया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशासन के बुनियादी ढांचा के निवेश पर निरंतर ध्यान केंद्रित किए जाने का संकेत देता है जिसे हम लंबी अवधि की आर्थिक वृद्धि के लिए सहायक मानते हैं। हम विदेशी कंपनियों के लिए प्रस्तावित कर में कटौती और रोजगार सृजन को रफ्तार देने की पहल को निवेश बनाए रखने के तौर पर देखते हैं।’

एसऐंडपी ने मई में भारत के सॉवरिन क्रेडिट नजरिये को संशोधित कर स्थिर से धनात्मक किया था और अपनी सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग को बरकरार रखा था। मूडीज और फिच रेटिंग्स ने भारत के प्रति अपने नजरिये को पहले की तरह की स्थिर बताया और सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग भी पहले की तरह रही।

फिच रेटिंग्स ने एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2025 का बजट, घाटे में कमी के लिए सरकार की निरंतर दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है जबकि सरकार ने अपनी पूंजीगत व्यय को बरकरार रखते हुए विकास की ओर ध्यान केंद्रित रखा है।

इसमें कहा गया, ‘वित्त वर्ष 2025 के लिए घाटे के लक्ष्य में संशोधन करके सरकार ने घाटे को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत दिया है क्योंकि इसने आरबीआई के अतिरिक्त लाभांश का अधिकांश हिस्सा नए खर्च में समायोजित करने के बजाय घाटे को कम करने की दिशा में लगाया है।

यह नया घाटा लक्ष्य पहले के अनुमानित 5.4 फीसदी के लक्ष्य से भी कम है जिसका अनुमान हमने जनवरी 2024 में भारत की ‘बीबीबी’ रेटिंग की स्थिर नजरिये के साथ ही पुष्टि करते समय लगाया था।’

हालांकि फिच का कहना है कि कई देशों के मुकाबले राजकोषीय घाटा, ब्याज-राजस्व का अनुपात और ऋण अनुपात अब भी अधिक होने के साथ ही सार्वजनिक वित्त पैमाने में देश के क्रेडिट प्रोफाइल में अपेक्षाकृत कमजोरी बनी हुई है।

इसमें कहा गया, ‘राजकोषीय घाटे को निरंतर कम किए जाने से मध्यम अवधि में सरकार का ऋण अनुपात निचले स्तर पर जाने के संकेत देता है और यह देश के क्रेडिट प्रोफाइल के लिए सहायक होगा खासतौर पर तब जब इसे वृहद अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और बाहरी वित्त पर मौजूदा सकारात्मक गति के साथ जोड़ा जाता है।

हम भारत की रेटिंग के लिए चल रही निगरानी में एक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में मध्यम अवधि में ऋण पर क्रमिक आधार पर राजकोषीय नजरिये के प्रभाव का आकलन जारी रखेंगे।’

मूडीज ने कहा कि ताजा बजट के अनुमानों के मुताबिक अगले तीन वर्षों में सामान्य सरकारी ऋण जीडीपी के 80 फीसदी से अधिक पर स्थिर रह सकता है जो वित्त वर्ष 2021 के 89.3 फीसदी से कम होगा।

First Published : July 24, 2024 | 10:13 PM IST