नेट जीरो कार्बन की प्रतिबद्धता में भारत के शामिल होने के बाद के पहले बजट में ऊर्जा में बदलाव और जलवायु कार्रवाई पर ध्यान दिया गया है। हालांकि ऐसा लगता है कि ऊर्जा कुशलता, सततता और स्वच्छ तकनीक जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बजट का उल्लेखनीय आवंटन नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जलवायु परिवर्तन के जोखिमों के भारत व अन्य देशों पर नकारात्मक असर को चिह्नित करते हुए ऊर्जा में बदलाव और जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया है। बढ़ते ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों की दिलचस्पी के इस्तेमाल को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने हेतु सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे। यह सरकार की 2022-23 के दौरान कुल बाजार उधारी का एक हिस्सा होगा। बहरहाल इसे जारी करने से जुटाए गए धन को सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में लगाया जाएगा, जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता घटाने में मदद करेगा।
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि इसके लिए गिफ्ट सिटी में भी सहूलियतें दी जाएंगी।
वित्त मंत्री ने नवंबर 2021 में सीओपी26 क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस में अपने राष्ट्रीय संबोधन में घोषित किया था कि भारत 2070 तक नेट कॉर्बन जीरो अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत की कम कार्बन उत्सर्जन रणनीति होगी, जिसके तहत 5 और लक्ष्य तय किए गए थे। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि कम कार्बन वृद्धि की रणनीति से रोजगार की व्यापक संभावनाओं का सृजन होगा और यह देश को टिकाऊ विकास की राह पर ले जाएगा। इसके मुताबिक इस बजट में कुछ कम अवधि और कुछ दीर्घावधि कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया है। इसमें सौर ऊर्जा विनिर्माण पर जोर, सर्कुलर इकोनॉमी ट्रांजिशन और कार्बन न्यूट्रल इकोनॉमी की ओर जाना शामिल है।
इनमें से सिर्फ सौर ऊर्जा एकमात्र है, जिसके लिए वित्त मंत्री ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 19,500 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की है, जो उच्च क्षमता वाले सौर पीवी मॉल्यूल के विनिर्माताओं के लिए है। वित्त मंत्री ने कार्बन न्यूट्रल इकोनॉमी के लिए 4 प्रमुख कदमों- ऊर्जा कुशलता, ताप बिजली संयंत्रोंं में बॉयो ईंधन मिश्रण, कोल गैसीफिकेशन और कृषि वानिकी शामिल है।