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Budget 2025: मेडिकल डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने आगामी बजट को लेकर अपनी मांगें सामने रखी हैं। इसमें वस्तु और सेवा कर (GST) की दरों को समान करने, एक्सपोर्ट प्रमोशन में वृद्धि, और इंपोर्टेड डिवाइस की मिनिमम रिटेल प्राइस पर निगरानी जैसी प्रमुख मांगें शामिल हैं।
पॉली मेडिक्योर के मैनेजिंग डायरेक्टर हिमांशु बैद ने कहा कि सरकार सभी मेडिकल डिवाइस पर GST दर को 12 प्रतिशत पर एक समान करने पर विचार कर सकती है। इससे टैक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सरल होगा और कारोबार करने में आसानी होगी।
इसके अलावा, उद्योग ने वाणिज्य मंत्रालय की रेमिशन ऑफ़ ड्यूटीज़ ऐंड टैक्स ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (RoDTEP) योजना योजना के तहत एक्सपोर्ट इंसेंटिव को वर्तमान 0.6-0.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 2-2.5 प्रतिशत करने की मांग की है। इस योजना का उद्देश्य उन करों और शुल्कों की वापसी करना है जो अब तक उत्पादकों को वापस नहीं किए जाते थे।
बैद ने कहा, “यह कदम भारतीय मेडिकल डिवाइस की ग्लोबल कंपटीटिवनेस को बढ़ाएगा और निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों का दायरा बढ़ाने में मदद करेगा।”
भारत में मेडिकल टेक्नोलॉजी (मेडटेक) का बाजार करीब 12 बिलियन डॉलर का है, जिसमें वित्त वर्ष 2024 में 8.2 बिलियन डॉलर के मेडिकल डिवाइस आयात किए गए। EY-Parthenon की रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस्तेमाल होने वाले 80-85% मेडिकल डिवाइस अंतरराष्ट्रीय स्तर से मंगाए जाते हैं।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AIMED) ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को बजट से पहले सौंपे गए अपने ज्ञापन में मांग की है कि आयातित मेडिकल डिवाइस की अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर सख्त निगरानी रखी जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय मरीजों को सस्ती दरों पर इलाज उपलब्ध हो।
AIMED ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा डिवाइस पर आयात शुल्क घटाने के प्रयास उस समय व्यर्थ हो जाते हैं, जब मरीजों को इन डिवाइस के लैंडेड प्राइस से 10 से 30 गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। संगठन ने मेडिकल डिवाइस की कीमतों को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है।
मेडिकल डिवाइस पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की मांग
मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों के संगठन एआईएमईडी (AIMED) ने भारत में बनने वाले और पर्याप्त उत्पादन क्षमता वाले मेडिकल डिवाइस पर शून्य और कंसेशनल कस्टम ड्यूटी के नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की है। संगठन का कहना है कि शून्य ड्यूटी का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है, क्योंकि उत्पाद पर लगाए गए दाम ही उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे हैं।
AIMED ने 5-15 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है, जबकि मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MTaI) ने उन डिवाइस पर कम कस्टम ड्यूटी की मांग की है, जिनके लिए देश में कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
एमटीएआई के चेयरमैन पवन चौधरी ने कहा, “हाई कस्टम ड्यूटी के कारण मेडिकल डिवाइस की लागत काफी बढ़ जाती है, जिससे आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं का लक्ष्य प्रभावित हो रहा है।”
PLI योजना के विस्तार की मांग
उद्योग जगत ने सरकार से प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को दो-तीन साल और बढ़ाने और इसे मजबूत करने की मांग भी की है। हिमांशु बैद ने कहा, “इससे स्थानीय निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने, आयात पर निर्भरता कम करने और लॉन्ग टर्म ग्रोथ एवं स्थिरता हासिल करने में मदद मिलेगी।”