बीमा क्षेत्र ने अंतरिम बजट में जीवन बीमा पर अलग से कर छूट सीमा तय किए जाने, पेंशन व एन्युटी पॉलिसियों पर कर माफी और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर 18 प्रतिशत कर के मसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
पिछले कुछ साल से जीवन बीमाकर्ता सावधि बीमा के लिए अलग से कर छूट की सीमा तय किए जाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा सेक्शन 80सी पहले से ही अन्य अनुमति योग्य व्यय से भरा हुआ है।
एजिस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ विग्नेश शहाणे ने कहा, ‘हम पिछले 5-6 साल से जीवन बीमा पर अलग से कर छूट दिए जाने की मांग सरकार से कर रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
इसकी वजह है कि मौजूदा सेक्शन 80सी बहुत अव्यवस्थित है और इसमें किसी भी तरह से छूट का दावा किया जा सकता है और 1.5 लाख रुपये तक आमदनी पर कर छूट पाया जा सकता है। इसमें सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि योजना, ईएलएसएस, सावधि जमा पर कर बचत, स्कूल फीस, होम लोन पर भुगतान सहित जीवन बीमा भी शामिल है।’
जीवन बीमा कंपनियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि पेंशन या एन्युटी पॉलिसियों से आय पर कर छूट मिले, जिससे नैशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के साथ समान अवसर मिलेगा और लोग इसमें निवेश को प्रोत्साहित होंगे।
एगोन लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ सतीश्वर बी ने कहा, ‘सेवानिवृत्ति के बाद आमदनी के लिए पेंशन और एन्युटी पॉलिसियों मे निवेश करना महत्त्वपूर्ण है। कर व्यवस्था सरल बनाने या इन उत्पादों पर कर हटाने से ज्यादा लोग इसमें निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे।