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Budget 2023 : एक्सपर्ट्स को सोशल सेक्टर में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं

Published by
बरखा माथुर
Last Updated- January 19, 2023 | 5:06 PM IST

Budget 2023 में सोशल सेक्टर की योजनाओं में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है। जानकारों के मुताबिक, सोशल सेक्टर के तहत विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए बजट में प्रावधान बढ़ेंगे लेकिन अकाउंटिंग प्रोसेस के तहत इस सेक्टर में कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद नहीं है।

एक्सपर्ट्स को उम्मीद है की इस साल के बजट में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं;

इनफॉर्मल सेक्टर के लिए पेंशन

नेशनल सोशल असिस्टेंट प्रोग्राम (NSAP) का उद्देश्य गरीब परिवारों को सामाजिक सहायता का लाभ प्रदान करना है। इसमें ओल्ड ऐज पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांगों के लिए पेंशन, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और अन्नपूर्णा कार्यक्रम शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने 1995 के बाद से सहायता राशि में संशोधन नहीं किया है, जब NSAP शुरू किया गया था।

सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस एकाउंटेबिलिटी (CBGA) में सोशल सेक्टर के कार्यक्रमों और बजट की जवाबदेही के विशेषज्ञ जावेद आलम खान के अनुसार, पेंशन राशि में कुछ संशोधन हो सकता है।

उन्होंने कहा, “सिविल सोसाइटी पिछले 17 वर्षों से इसकी मांग कर रही है। आज रहने की लागत और महंगाई की दर को ध्यान में रखते हुए इनफॉर्मल सेक्टर में लोगों के लिए सरकार द्वारा दी जा रही पेंशन प्रैक्टिकल रूप से जीरो है। उदाहरण के तौर पर, वृद्धावस्था के तहत पेंशन योजना 60 से 80 वर्ष के बीच के लोगों के लिए 200 रुपये प्रति माह और 80 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए 500 रुपये प्रतिमाह पेंशन राशि बढ़ाने की तुरंत आवश्यकता है।”

खान ने कहा, “लेकिन फिर से, ऐसा होने की संभावना नहीं है यहां तक कि आगामी बजट में भी क्योंकि इनफॉर्मल सेक्टर के लिए पेंशन सबसे ज्यादा नजरअंदाज किये गए सेक्टर में से एक रहा है।”

उन्होंने कहा कि इनफॉर्मल सेक्टर के लिए पेंशन के तहत कवरेज भी नहीं बढ़ रहा है क्योंकि योजना के लिए आवंटन अपर्याप्त है।

2022-23 के बजट अनुमान में NSAP के तहत 9,652 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। यह राशि 2021-22 (बजट अनुमान) में आवंटित 9,200 रुपये से सिर्फ 452 करोड़ रुपये अधिक थी।

धार्मिक अल्पसंख्यकों का डेवलपमेंट

धार्मिक अल्पसंख्यकों के विकास के लिए देश में दो प्रमुख कार्यक्रम हैं। पहला प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्रीय कार्यक्रम है जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल प्रशिक्षण और आवास जैसे विकास के 15 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है और अल्पसंख्यकों को समर्पित विभिन्न कार्यक्रमों के तहत कम से कम 15 प्रतिशत धन की मांग करता है।

दूसरा बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम है, जिसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम कर दिया गया है। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में विकास की कमी को दूर करना है।

हालांकि, जावेद आलम खान के अनुसार 15 सूत्री कार्यक्रम लगभग पूरी तरह से निष्क्रिय है। इसका कारण यह है कि संबंधित विभाग इसके तहत कुछ भी रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आगामी बजट स्पष्ट फाइनेंशियल और फिजिकल टारगेट प्रदान करेगा जो विभागों को अधिक कुशलता से रिपोर्ट करने के लिए मजबूर करेगा।

खान ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय उत्सुकता से शिक्षा और आजीविका के बारे में घोषणाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण स्कॉलरशिप और फैलोशिप कार्यक्रमों को बंद कर दिया है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कल्याण

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार ने 2017 में अनुसूचित जातियों के लिए विकास कार्य योजना और अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना शुरू की।

खान के अनुसार, “एक गैर-व्यपगत पूल (on-lapsable pool) महत्वपूर्ण है ताकि जिस धन का उपयोग नहीं किया गया था उसे बाद में उपयोग के लिए रखा जा सके। लेकिन सरकार पिछले पांच वर्षों में इसे लागू नहीं कर पाई।”

उन्होंने कहा कि क्योंकि पिछली पंचवर्षीय योजना समाप्त हो गई थी और आदिवासी उप योजना (TSP) और अनुसूचित जाति उप योजना (SCSP) भी बंद हो गई थी, विभिन्न मंत्रालयों के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विशेष कार्यक्रमों के संदर्भ में कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं हुआ है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मंत्रालय बिना किसी विशेष उद्देश्य या परिणामों पर अनुवर्ती कार्रवाई के नियमित अभ्यास के रूप में एससी और एसटी के लिए धन निर्धारित कर रहे हैं।

आजीविका के अवसर और सोशल सेफ्टी

एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव की सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड लीड सीनियर फेलो अवनी कपूर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आगामी बजट में धन का उपयोग करने और सोशल सेक्टर के तहत मौजूदा योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

कपूर ने कहा कि बजट 2022-23 ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के लिए आवंटन घटाकर बजट अनुमान 2022-23 में 73,000 करोड़ रुपये कर दिया था, जो 2021-22 के संशोधित अनुमानों से 26 प्रतिशत कम था।

उन्होंने कहा कि आगामी बजट में खाद्य सब्सिडी में भी वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि सरकार पहले ही मुफ्त राशन कार्यक्रम की घोषणा कर चुकी है, भले ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) समाप्त हो गई है।

विशेषज्ञों ने भी इस बात पर भी जोर दिया कि आगामी बजट में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आवंटन और भौतिक लक्ष्यों में वृद्धि देख सकती है। यह योजना गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करती है।

First Published : January 19, 2023 | 5:00 PM IST