Indian Auto Market: भारतीय वाहन बाजार में अजीब तस्वीर नजर आ रही है। मध्यवर्गीय भारतीयों के लिए दोपहिया से उठकर एंट्री लेवल की कार तक पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है मगर स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) खरीदने वालों में ऐसे लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, जो पहली कार खरीदने पहुंच रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजूकी ने छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट पर चिंता जताई है। कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने पिछले महीने आगाह किया था कि जब तक इस श्रेणी में वृद्धि नहीं लौटेगी तब तक भारत में कुल यात्री कारों की बिक्री सुस्त बनी रहेगी।
मगर एसयूवी खरीदने वालों में ऐसे लोग बढ़ हे हैं, जिन्होंने पहली बार कार खरीदी है। 2020 से ही ह्युंडै मोटर इंडिया के ग्राहकों में उन लोगों की तादाद बहुत बढ़ी है, जो पहली बार कार खरीदने पहुंचे हैं। वित्त वर्ष 2020 में उनकी हिस्सेदारी 31.6 फीसदी रही, जो वित्त वर्ष 2025 में 40.1 फीसदी हो गई। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मुताबिक उसकी एक्सयूवी3एक्सओ के एक तिहाई खरीदार पहली बार कार खरीदने वाले हैं।
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2018-19 में यात्री वाहनों (यूटिलिटी व्हीकल, वैन आदि) की कुल बिक्री में यात्री कारों की हिस्सेदारी 65 फीसदी थी। मगर हर साल घटते हुए यह संख्या 2024-25 में 31 फीसदी रह गई। हालांकि इतनी बड़ी गिरावट के बाद भी बिकने वाली गाड़ियों की संख्या के लिहाज से यात्री वाहन अब भी आगे हैं। वित्त वर्ष 2025 में 13 लाख यात्री कारें बिकीं।
भार्गव ने कहा था कि लोग अब छोटी कारें नहीं खरीद सकते। उन्होंने कहा, ‘भारत में केवल 12 फीसदी परिवार ही सालाना 12 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं और वे ही 10 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत वाली कार खरीद सकते हैं।’ इसलिए भारत में कार की खरीदारी काफी हद तक इन 12 फीसदी परिवारों तक ही सीमित है। उन्होंने सवाल किया कि जब देश का 88 फीसदी हिस्सा कार तक नहीं खरीद सकते हैं तो आप वृद्धि की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
सुरक्षा एवं उत्सर्जन मानदंडों और तमाम नियमों में सख्ती के कारण कारों की कीमतें बढ़ गई हैं मगर लोगों के वेतन उस हिसाब से नहीं बढ़े हैं। 2016 में मारुति सेलेरियो की कीमत 2.8 से 4.4 लाख रुपये थी, जो अब 5.6 से 6.7 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है। कई खरीदार पुरानी कारों के बाजार का रुख कर रहे हैं, जहां पिछले 2-3 साल से लगातार दो अंकों में वृद्धि हो रही है।
पुरानी कारों की खरीद-बिक्री करने वाले प्लेटफॉर्म स्पिनी के संस्थापक एवं सीईओ नीरज सिंह ने कुछ समय पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘भारत में पुरानी कारों का बाजार पिछले 2-3 साल से लगातार 10-12 फीसदी बढ़ रहा है और उसे वित्त वर्ष 2026 तक 40 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।’
कार खरीदने की बजाय सेविंग्स पर फोकस
टीमलीज एडटेक के संस्थापक एवं सीईओ शांतनु रूज ने कहा कि पिछले 5 से 7 साल में फ्रेशरों के वेतन में खास वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सालाना वेतन वृद्धि 5 से 7 फीसदी के दायरे में रही है, जो महंगाई को ही नहीं समेट पा रही है। उन्होंने कहा, ‘कुछ प्रमुख शहरों में ही ज्यादा नौकरियां हैं और घर से दूर रहने पर खर्च करने लायक आय और भी कम हो जाती है। एआई के इस्तेमाल ने रोजगार बाजार को अस्थिर और अनिश्चित बना दिया है। ऐसे में लोग कार जैसी बड़ी खरीदारी करने के बजाय बचत को प्राथमिकता देते हैं।’
भार्गव ने कहा, ‘कारों की बिक्री बढ़ाने के लिए छोटी कारों की कीमतें कम करनी होगी। इसके लिए कर में कटौती के अलावा नियमों से होने वाला खर्च भी कम करना होगा।’अगर जीडीपी वृद्धि और यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि के बीच संबंध को देखा जाए तो वित्त वर्ष 2000 और वित्त वर्ष 2010 के बीच जीडीपी में 6.3 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि रही और यात्री वाहनों की विक्री 10.3 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ी। अगले दशक यानी वित्त वर्ष 2020 तक जीडीपी में सालाना 6.6 फीसदी चक्रवृद्धि दिखी मगर यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि 3.6 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में यात्री वाहनों की बिक्री में 2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई जबकि जीडीपी में 6.5 फीसदी इजाफा हुआ।
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मारुति सुजूकी के कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने एक अन्य दिलचस्प रुझान की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, ‘अभी सड़क पर 27 करोड़ दोपहिया वाहन हैं। मान लें कि पिछले 5-7 सालों में 10 करोड़ दोपहिया वाहन बेचे गए हैं, तो कम से कम 17 करोड़ दोपहिया वाहन ऐसे हैं जो इससे पुराने हैं और मालिक उन्हें अपग्रेड करने पर विचार कर सकते हैं। मगर वे बाजार में नहीं दिख रहे हैं। दोपहिया वाहन को अपग्रेड करने वाले हमेशा छोटी कार खरीदते हैं।’ इसलिए ऐसा लगता है कि मध्यवर्ग में दोपहिया वाहन बढ़ गए हैं।
नए खरीदारों के लिए बेहतरीन विकल्प
- महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कंपनियों का ध्यान केवल एसयूवी पर है। उसकी सबसे कम कीमत वाली एसयूवी XUV3XO को एक तिहाई ग्राहक ऐसे मिले हैं, जो पहली बार कार खरीद रहे हैं।
- कंपनी के सीईओ (ऑटोमोटिव) नलिनीकांत गोलागुंटा ने कहा कि तमाम सुविधाओं से भरपूर, सुरक्षा और आराम के कारण यह नए खरीदारों के लिए बेहतरीन विकल्प है।
- ह्युंडै के एक अधिकारी ने भी कहा कि भारत में बिकनी वाली हर तीन ह्युंडै कार में दो एसयूवी हैं। उन्होंने बढ़ते अरमानों और आसान कर्ज को इसका मुख्य कारण बताया।
- उद्योग के एक विशेषज्ञ ने इशारा किया कि प्रवेश स्तर की कार खरीदने वालों की औसत मासिक आय 65,000 से 75,000 रुपये होती है, जबकि एसयूवी खरीदने वाले की औसत मासिक आय 75,000 से 90,000 रुपये के बीच है।
- ग्रांट थॉर्नटन की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि अगले तीन वर्षों के दौरान भारत में संपन्न वर्ग की तादाद लगभग दोगुनी होकर 10 करोड़ होने का अनुमान है। मगर यहां केवल 3 करोड़ लोगों की आय ही वाहन खरीदने लायक है। उच्च आय वाले भारतीय बड़े वाहन ही पसंद नहीं करते बल्कि उनमें अधिक प्रीमियम सुविधाएं भी चाहते हैं।
First Published : May 20, 2025 | 10:51 PM IST