प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) की बिक्री वित्त वर्ष 2026-27 में 3.6 गुना बढ़कर 17,000 वाहनों पर पहुंच जाने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2024 में 3,644 थी। रेटिंग एजेंसी केयरएज की एक रिपोर्ट के अनुसार लागत में कमी, बेहतर चार्जिंग ढांचे और मददगार सरकारी नीतियों के कारण बिक्री में तेजी से वृद्धि की संभावना है।
भारत में ई-बस क्षेत्र अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है और वित्त वर्ष 2024 में कुल सालाना बस पंजीकरण में इसका महज 4 फीसदी योगदान रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर लगभग 81 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई है। लेकिन यह वृद्धि न्यून आधार पर हुई है जिसका श्रेय विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहनों और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समर्थन तथा सकल लागत अनुबंध (जीसीसी) मॉडल के तहत अनुकूल अनुबंध शर्तों को दिया जा सकता है।
केयरएज रेटिंग्स की एसोसिएट डायरेक्टर आरती रॉय ने कहा, ‘चूंकि वित्त वर्ष 2027 में ई-बसों की बिक्री 17,000 वाहन से अधिक तक पहुंचने की संभावना है, इसलिए पैठ दर लगभग 15 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।’ इसके अलावा स्वच्छ ईंधन अपनाए जाने के कारण पारंपरिक डीजल और पेट्रोल बसों की बाजार हिस्सेदारी एक दशक पहले के 97-98 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 90 प्रतिशत रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार इस समय ई-बस का इस्तेमाल कुछ ही राज्यों और शहरों तक सीमित है। लेकिन इसके व्यापक चलन से मध्यावधि में बिक्री वृद्धि की रफ्तार तेज हो सकती है।