लेखक : नितिन देसाई

आज का अखबार, लेख

बिहार जाति सर्वेक्षण: अधिक समतापूर्ण भारत की ओर

बिहार का हालिया जाति सर्वेक्षण ऐसे आंकड़े मुहैया कराता है जो जाति और आर्थिक स्थिति को जोड़ते हैं। इससे पहले ऐसे आंकड़े उपलब्ध नहीं थे। यह मुख्य रूप से तीन चीजों पर ध्यान कें​द्रित करता है: जाति समूह में आय से जुड़ी गरीबी, सरकारी नौकरी वाले समूहों का अनुपात और जाति समूहों में शिक्षा का […]

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कार्बन मूल्य की चुनौती और भारत का रुख

Carbon Pricing: वर्ष 2015 में हुए पेरिस समझौते के बाद से कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए बाजार आधारित उपाय तेजी से विस्तारित हुए हैं। विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार अब 73 राष्ट्रीय या उपराष्ट्रीय क्षेत्रों में उनका क्रियान्वयन किया जा रहा है या इसकी योजना बनाई जा चुकी है जो 11.66 […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: लोकतंत्र में विपक्ष के विचारों का हो सम्मान

राजनीतिक व्यवहारों में सहृदयता और विपक्ष के प्रति सम्मान एवं सहिष्णुता लोकतंत्र की दो मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं। इस बात को रेखांकित कर रहे हैं नितिन देसाई यह 2011 की बात है जब विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में प्रकाशित तथ्यों के आलोक में मुझे भारतीय लोकतंत्र के उस बिंदु पर संक्षिप्त बयान देने के […]

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

Opinion: तेजी से बढ़ रहा जलवायु परिवर्तन का खतरा

वर्ष 2023 में जून और जुलाई में दर्ज औसत वैश्विक तापमान ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और 20 वर्ष पहले की तुलना में अब दोगुना वन क्षेत्र ऐसी घटनाओं से प्रभावित हो रहा है। वैश्विक स्तर पर समुद्र की सतह के […]

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जलवायु अनुकूल विकास से जुड़ी विशिष्ट जरूरतें

जलवायु परिवर्तन एक बार फिर वैश्विक सहयोग के लिए अहम चुनौती बनकर उभर रहा है क्योंकि दुनिया भर में जलवायु से जुड़ी विपरीत गतिविधियां बढ़ रही हैं और इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती के मौजूदा प्रयास पर्याप्त नहीं साबित हुए हैं। आगामी दिसंबर में दुबई में होने वाली […]

अंतरराष्ट्रीय, अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, लेख

बाजार अर्थव्यवस्था और सरकार का सहयोग

इस महीने एडम ​स्मिथ के जन्म को तीन सदियां हो जाएंगी। ​स्मिथ को पूंजीवादी बाजार अर्थव्यवस्था का सबसे प्रभावशाली आ​र्थिक सिद्धांतकार माना जाता है। ‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा ने कई लोगों के मन में यह भावना स्थापित कर दी है कि निजी मुनाफे से संचालित होने वाली बाजार अर्थव्यवस्था में कई सकारात्मक लाभ भी हैं, […]

आईटी, आज का अखबार, लेख

जेनरेटिव एआई की चुनौतियां अपार, सुरक्षा को लेकर इसके प्रभाव पर छिड़ी बहस

दुनिया भर में प्रयोग करने योग्य आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर के तेजी से उभार ने अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर एक व्यापक बहस छेड़ दी है। आमतौर पर हम जिस सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं उसमें कोई स्वतंत्र रचनात्मकता नहीं दिखती है, उदाहरण के तौर पर लेखन से जुड़े सॉफ्टवेयर। हालांकि, […]

आज का अखबार, लेख

सूचना प्रौद्योगिकी विकास के लिए अगला बड़ा कदम

सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र (IT Services Sector) मु​श्किल दौर से गुजर रहा है क्योंकि प​श्चिमी देशों में आ​र्थिक मंदी का दौर है और, शायद तकनीकी क्षेत्र की नई घटनाएं भी इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि इन्होंने इंसान और मशीन के बीच के संतुलन को असंतुलित कर दिया है। इस मंदी का जवाब तलाशने के लिए […]

आज का अखबार, लेख

आ​खिर कौन सी बातें सामने आएं बजट में

केंद्र सरकार के बजट प्रबंधन की वित्त मंत्रालय की औपचारिक जिम्मेदारी का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर होता है क्योंकि इसमें सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी के अनुपात में बहुत बड़ी रा​शि के सार्वजनिक व्यय का प्रावधान होता है। इसके अलावा बचत को लेकर केंद्र सरकार की मांग तथा खपत, बचत, निवेश, निर्यात और आयात के […]

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संवैधानिक व्यवस्था का कैसे तय हो बचाव?

इस समय सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों तथा निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सार्वजनिक विवाद की स्थिति बनी हुई है। सरकार संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के सहारे है और दलील दे रही है कि नियुक्तियों के निर्णय का अधिकार कार्यपालिका के पास है। जबकि इससे अलग नजरिया रखने वालों को […]