एच5एन1 एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस धीरे-धीरे मवेशियों में आम बीमारी की तरह होता जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी पोल्ट्री और पशुधन आबादी वाले भारत जैसे देशों के लिए यह गंभीर चुनौती है, जो बार-बार बर्ड फ्लू के प्रकोप का सामना करते हैं।
‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में इस सप्ताह प्रकाशित शोध में सामने आया है कि एवियन एच5एन1 वायरस 6 दशक में किस तरह परिवर्तित हुए हैं। कुछ हालिया वेरिएंट तो ऐसे हैं, जो पुराने स्ट्रेन की तुलना में गाय की कोशिकाओं और स्तन के ऊतकों को बहुत जल्दी संक्रमित करते हैं। एमआरसी यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वायरस रिसर्च के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किया गया यह शोध अमेरिका में मार्च 2024 से डेयरी गायों में एच5एन1 के प्रकोप के बीच आया है।
गायों में इस वायरस के हमले की घटना ने शुरू में वायरोलॉजिस्ट को हैरान कर दिया था, क्योंकि पहले इसे मवेशियों में संक्रमण का कारण नहीं माना जाता था। लेकिन अमेरिका में गायों में वायरस फैलने और स्तनधारियों में इसके अनुकूलन को देखते हुए विशेषज्ञों के समख नई चुनौती और चिंता उभर कर आई है।
छह दशक से अधिक समय तक वायरस के बारे में बड़े पैमाने पर विश्लेशण कर शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि पशुधन की कोशिकाओं को संक्रमित करने की एच5एन1 की क्षमता अचानक एकल म्यूटेशन से नहीं, बल्कि यह धीरे-धीरे कई आनुवंशिक बदलावों के साथ आई है।
एच5एन1 की स्तनधारियों में फैलने की क्षमता के कारण इस बात की चिंता बढ़ रही है कि कहीं यह और भी जानवरों को अपनी चपेट में लेना शुरू न कर दे। इस वायरस के धीरे-धीरे स्तनधारियों में व्यापक रूप से फैलने को देखते हुए वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके नए ऐसे स्ट्रेन भी उभर सकते हैं, जो आगे चलकर मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं। इससे भविष्य में महामारी का खतरा बढ़ जाता है।