GST 2.0: देश में कई राज्य सरकारों और मुख्यमंत्रियों ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) की नई दरों का स्वागत किया। सभी दलों के नेताओं ने कहा कि ये दरें आम जनता के लिए अच्छी हैं। हालांकि, विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा शासित कुछ राज्यों ने चिंता जताई कि इससे उनके राजस्व में कमी आ सकती है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार, 16वें वित्त आयोग के तहत राज्यों को कर में से ज्यादा हिस्सा दे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई अगले पांच और सालों तक जारी रखी जानी चाहिए।
तमिलनाडु सरकार ने जीएसटी की नई दरों की तारीफ की, लेकिन राज्य की कमाई को लेकर चिंता भी जताई। वहां के वित्त मंत्री थंगम थेन्नरासु ने सुझाव दिया कि या तो जीएसटी अधिनियम संशोधन के जरिये हानिकारक उत्पादों (जैसे तंबाकू आदि) और लक्जरी वस्तुओं पर कर बढ़ाया जाए या फिर उपकर लगाने की पुरानी व्यवस्था को जारी रखा जाए।
केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने कहा कि जीएसटी दरों में बदलाव के तहत लाए गए इन नई दरों से केरल को सालाना 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। बालगोपाल ने कहा कि एलडीएफ की सरकार जीएसटी दर कटौती का समर्थन करती है ताकि दरों में कटौती से चीजें सस्ती हों, लेकिन केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका फायदा आम लोगों तक पहुंचे। उन्होंने यह भी शिकायत की कि राज्यों को मुआवजा देने की उनकी मांग को जीएसटी परिषद की बैठक में गंभीरता से नहीं लिया गया।
बालगोपाल के मुताबिक, सिर्फ चार क्षेत्रों सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और बीमा से ही राज्य को अनुमानित तौर पर लगभग 2,500 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में, केरल पर इसका असर दूसरे राज्यों से ज्यादा होगा क्योंकि राज्य के खपत के संदर्भ में देखें तो केरल के लोग अधिक कर वाली चीजें ज्यादा खरीदते हैं।
केरल ने यह भी मांग की थी कि लॉटरी पर जीएसटी की दर 28 फीसदी ही रखी जाए और राज्य द्वारा चलाई जाने वाली पेपर लॉटरी को नए प्रस्ताव से बाहर रखा जाए। हालांकि लॉटरी पर कर बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है। लॉटरी की बिक्री राज्य के लिए कमाई का एक बड़ा जरिया है। केरल के वित्त मंत्री बालगोपाल ने यह भी मांग की कि जीएसटी से होने वाली कुल कमाई में से राज्यों का हिस्सा बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सहकारी संघवाद की भावना से की गई राज्यों की एक मुख्य मांग अनसुनी कर दी गई जिसमें उन्होंने अगले पांच साल के लिए मुआवजे को बढ़ाने की बात कही थी ताकि उनका राजस्व सुरक्षित रहे।
पार्टी ने इसे ‘जीएसटी 1.5’ कहा और कहा कि असली ‘जीएसटी 2.0’ का इंतजार अब भी बाकी है। कांग्रेस ने कहा कि सभी राज्यों को वर्ष 2024-25 को आधार वर्ष मानकर, अगले पांच साल के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए क्योंकि कर दरें घटने से उनके राजस्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इन बदलावों को एक ‘यू-टर्न’ बताया और कहा कि ये कदम आठ साल की देरी से उठाए गए हैं।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्रियों ने इस कदम का स्वागत किया। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि इससे लोगों के जीवन के रहन-सहन के स्तर में सुधार होगा। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वास्थ्य बीमा और शैक्षणिक वस्तुओं पर जीएसटी शून्य करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया गया है जिससे दिल्ली को बहुत फायदा होगा।
(साथ में एजेंसियां)