INDIA गठबंधन के लिए तृणमूल बनी चुनौती, अध्यक्ष और संयोजक पद पर नहीं हो रही रजामंदी

तृणमूल मानती है कि ममता इस भूमिका के लिए नीतीश से बेहतर रहेंगी। कांग्रेस का एक वर्ग भी इससे सहमत है।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- January 05, 2024 | 11:30 PM IST

लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं मगर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नैशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में अब तक खींचतान मची हुई है। गठबंधन के घटक दल अध्यक्ष और संयोजक के लिए किसी नाम पर रजामंद ही नहीं हो पा रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस ने 28 दलों के इस गठबंधन में अध्यक्ष के लिए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बजाय सोनिया गांधी और संयोजक के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बजाय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम सुझाया है। तृणमूल के इस सुझाव को कुछ कांग्रेसी नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है।

कांग्रेस और इंडिया के अन्य घटक दलों के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल और पंजाब को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी राज्यों में सीट बंटवारे पर बातचीत उम्मीद से भी ज्यादा आसानी से आगे बढ़ रही है। मगर गठबंधन के अध्यक्ष और संयोजक के नामों पर सर्वसम्मति बनाना बड़ा मुश्किल हो गया है।

गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद ने ममता, समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के उद्धव ठाकरे से बात की।

उन्होंने बातचीत में नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने के लिए समर्थन मांगा। नीतीश की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश (पश्चिम) से अपने लोकसभा उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया और इस तरह उसने इंडिया के संयोजक के रूप में अपने नेता के नाम नहीं चुने जाने पर नाराजगी जता दी।

इधर तृणमूल मानती है कि ममता इस भूमिका के लिए नीतीश से बेहतर रहेंगी। कांग्रेस का एक वर्ग भी इससे सहमत है।

उसका कहना है कि पार्टी अध्यक्ष खरगे के बजाय कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिय को गठबंधन का अध्यक्ष तथा ममता को संयोजक बनाया जाना चाहिए। मगर वामपंथी दल ममता को संयोजक बनाने के पक्ष में नहीं हैं और वे खुलेआम नीतीश का समर्थन कर रहे हैं। बाकी घटक दलों में से भी ज्यादातर नीतीश के नाम पर सहमत दिख रहे हैं।

इस बीच ‘इंडिया’ के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे पर भी चर्चा चल रही है। हालिया विधानसभा चुनावों में झटका लगने के बाद कांग्रेस ने नए सिरे से 255 सीटें तलाशनी शुरू कर दीं, जिन पर वह लोकसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी 2019 की तरह 421 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी। उस बार वह केवल 52 सीट जीत पाई थी।

कांग्रेस इन 255 सीटों में से भी कुछ सीटें इंडिया के मौजूदा घटकों ही नहीं बल्कि नए सहयोगियों को भी देने के लिए तैयार हो जाएगी। उसे राजस्थान में तीन विधानसभा सीट और मध्य प्रदेश में एक विधानसभा सीट जीतने वाली भारतीय आदिवासी पार्टी जैसे दलों के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद है।

इंडिया गठबंधन महाराष्ट्र में प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी को भी साथ लेने की कोशिश कर रहा है। इसी हफ्ते आंबेडकर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी।

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अपनी प्रदेश इकाइयों को मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों के सामने कम मांगें रखने के लिए कहा है।

दिल्ली में कांग्रेस की राज्य इकाई के विरोध के कारण अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ उसके गठबंधन की उम्मीदें काफी कम हो गई हैं। बहरहाल सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियां दिल्ली में सीट बंटवारा कर लेंगी।

First Published : January 5, 2024 | 11:07 PM IST