एयर इंडिया ने 470 नए विमानों के लिए एयरबस और बोइंग के साथ समझौता किया है। इस बड़े सौदे को लेकर पैदा हुई उत्सुकता और हलचल आसानी से समझी जा सकती हैं। बेड़े में नए विमान शामिल होने के बाद एयर इंडिया को वैश्विक स्तर पर विमानन उद्योग में प्रतिस्पर्धा करने में आवश्यक मदद मिल पाएगी। टाटा जैसी दिग्गज कंपनी का साथ तो इसे मिल ही चुका है।
हालांकि यहां से सब कुछ जितना सीधा दिख रहा है उतना है नहीं। नए विमान आने के बाद एयर इंडिया के विमानों में यात्रा का बेहतर अनुभव मिलने की उम्मीदें जरूर बढ़ गई हैं मगर इसके आगे अभी कई चुनौतियां होंगी। कई लोगों ने तो इसलिए एयर इंडिया से उड़ान भरना छोड़ दिया था कि उन्हें मनमाफिक सेवाएं नहीं मिल रही थीं। यात्रियों की शिकायत थी कि विमान में सीटें एवं मनोरंजन के साधन अस्त-व्यस्त थे और खान-पान सेवाओं की भी गुणवत्ता स्तरीय नहीं थी। ये वही लोग थे जो कभी एयर इंडिया के मुरीद हुआ करते थे। मगर इस सौदे के बाद वे एयर इंडिया से दोबारा यात्राएं करना शुरू कर सकते हैं।
अमूमन नए विमानों की खेप आने में लंबा समय लगता है। एयर इंडिया ने इन विमानों के ऑर्डर भी देरी से दिए हैं। अगर एयरफ्लोट (प्रतिबंध की वजह से) और कतर (विवाद के कारण) के परिचालन प्रभावित नहीं हुए होते तो एयर इंडिया के बेड़े में नए विमान आने में और भी अधिक समय लग सकता था। 40 एयरबस विमानों में छह विमानों की पहली खेप इस साल के अंत तक एयर इंडिया को मिल सकती है। मगर ज्यादातर विमान 2025 से पहले मिलने की उम्मीद नहीं है और 2029 या उसके बाद तक ये आते रहेंगे।
दरअसल इन विमानों के लिए एयरफ्लोट ने ऑर्डर दिए थे मगर उसका परिचालन प्रभावित होने से ये एयर इंडिया को मिल गए। बेड़े में इतनी बड़ी संख्या में नए विमान शामिल करने की पहल से यात्रियों की उम्मीदें तो बढ़ गई हैं मगर इससे जुड़ी अन्य कई बातों को संभालना थोड़ा पेचीदा होगा।
टाटा समूह ने जनवरी 2022 में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था और तब से उनके लिए चुनौतियां शुरू (एयर इंडिया को दोबारा संभालने से जुड़ीं) हो गई थीं। इसमें कोई दो राय नहीं कि टाटा एयर इंडिया से जुड़ी दिक्कतें दूर करना चाहती हैं मगर इसका कायाकल्प और एकीकरण से जुड़ी समस्या कम बड़ी नहीं है। अब तक जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार एयर इंडिया के कायाकल्प में बदलाव में कम से कम एक वर्ष का समय लग सकता है। यात्रियों के लिए आरक्षण से लेकर वेब चेक-इन और प्रस्थान से आगमन तक सभी चीजें सुधरने में वक्त लगेगा।
टाटा समूह ने एयर इंडिया के विमानों के भीतर यात्री सुविधाओं की मरम्मत, कल-पुर्जों के अभाव में परिचालन से बाहर विमानों को दोबारा सेवाओं में लाने, इंजन के रखरखाव आदि कार्यों के लिए नकदी की कमी जैसे चुनौतियों को हल्के में ले लिया था। कोविड महामारी के दौरान कई विमान उपकरण विनिर्माता कंपनियों की हालत खराब हो गई थी। हालांकि एयर इंडिया चौड़ी पेटी वाले 43 विमानों में 10 दोबारा परिचालन में लाने में सफल रही है। ये विमान परिचालन में नहीं थे। कंपनी ने इन्हें वैंकूवर-दिल्ली जैसे मार्गों पर परिचालन में लगा दिया।
एयर इंडिया एक और अच्छा कदम उठा रही है। इसने चौड़ी पेटी वाले 11 बोइंग 777-200 एलआर विमान पट्टे पर ले लिए हैं। इन विमानों को डेल्टा ने कोविड महामारी के समय परिचालन से बाहर कर दिया था। अधिक ईंधन पीने वाले ये विमान मरुस्थल में खड़े थे।
एयर इंडिया काफी सस्ती दरों पर ये विमान पट्टे पर लेने में सफल रही। दो विमान मुंबई-जेएफके और मुंबई-सैन फ्रांसिस्को मार्ग पर सेवाएं देने के लिए बहाल किए गए। इन विमानों में बिजनेस केबिन और खान-पान का अनुभव एयर इंडिया के विमानों की तुलना में काफी बेहतर है। एयर इंडिया ने केवल इन विमानों से डेल्टा का लोगो हटा दिया है।
कुछ मार्गों पर मांग के अनुरूप सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका विमानन कंपनियों पर प्रतिबंध लग गए हैं। इस वजह से उन्हें लंबे मार्गों से उड़ान भरना पड़ रहा है। एयर इंडिया पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है।
एयर इंडिया अपने मौजूदा बेड़े की मरम्मत कर उन्हें नया रूप देने की तैयारी कर रही है। यह कार्यक्रम अगले वर्ष मार्च में शुरू हो जाएगा। यह काम दो या तीन विमानों के साथ विभिन्न चरणों में करना होगा ताकि मौजूदा परिचालन पर कोई असर नहीं हो।
दुनिया में ज्यादातर विमानन कंपनियां अपने नए बेड़े में सुनियोजित कार्यक्रम के तहत नए विमानों को शामिल करती हैं। एक साल में 60-65 से अधिक विमानों को शामिल कर पाना शायद ही कभी संभव होता है। नए विमानों के लिए चालक दल, सह-पायलट और पायलटों की तलाश करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। यह कार्य इसलिए भी कठिन हो जाता है कि किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए चालक दल का एक दस्ता अलग से तैयार रखना होता है। एयर इंडिया 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्त कर रही है और युवा कर्मचारियों (खासकर पूर्वोत्तर भारत से) को शामिल कर रही है। विमानन कंपनी कर्मचारियों की कमी से निपटने के लिए हरेक महीने चालक दल में करीब 250 सदस्यों को शामिल कर रही है।
लंबी उड़ान भरने वाले बोइंग 777 विमानों के लिए अनुभवी पायलटों की तलाश एक चुनौती साबित हो रही है। कोविड महामारी के दौरान दो वर्षों तक कई पायलट विमान नहीं उड़ा पाए, जिससे सुरक्षा का मुद्दा भी खड़ा हो जाता है। पायलटों की तलाश इसलिए भी मुश्किल हो रही है कि पश्चिम एशिया की विमानन कंपनियों ने हाल में कई ऐसे अनुभवी पायलट नियुक्त किए हैं जिन्हें लगातार विमान उड़ाने का अनुभव रहा है। एयर इंडिया को विमान उड़ाने में निरंतरता की शर्त हटानी पड़ सकती है। अगर यह अमेरिका और कनाडा के लिए उड़ान भरने वाले विमानों पर रूसी पायलटों को नियुक्त करती है तो इस बात में संदेह है कि ये पायलट सुरक्षा जांच पूरी और वीजा हासिल कर पाएंगे।
एकीकरण के अगले चरण में एयर विस्तारा और दो किफायती उड़ान सेवा प्रदाताओं एयर एशिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ आने से एयर इंडिया की उड़ानों के परिचालन में अधिक तारतम्यता दिखेगी। एयर एशिया मुंबई जैसे संकीर्ण हवाईअड्डों पर एयर इंडिया के लिए जगह खाली कर रही है।
सिंगापुर एयरलाइंस के साथ साझेदारी से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से सिंगापुर आने वाले मार्गों पर अधिक बेहतर हवाई संपर्क देने में मदद मिलेगी। संभवतः एयर इंडिया अपने दिल्ली, मुंबई और बेंगलूरु उड़ान केंद्रों से आने और जाने वाले विमानों के साथ कोड शेयरिंग (विमानन कंपनियों के बीच उड़ान संचालन को लेकर किया गया आपसी समझौता) कर इन मार्गों पर हवाई संपर्क बढ़ाएगी।
(लेखक फाउंडिंग फ्यूल के सह-संस्थापक हैं।)