वित्त वर्ष 2024 के शुरू की तुलना में छोटे निवेशकों का स्मॉलकैप कंपनियों में अब ज्यादा निवेश है। इससे इस सेगमेंट में निवेश करने के लिए उनके बढ़ते भरोसे का पता चलता है।
कैपिटालाइन के आंकड़ों से पता चला है कि एनएसई के निफ्टी स्मॉलकैप 250 सूचकांक में म्युचुअल फंडों की औसत निवेश भागीदारी वित्त वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों के दौरान 8.67 प्रतिशत से बढ़कर 9.26 प्रतिशत हो गई है।
वहीं 20 प्रतिशत एमएफ निवेश वाली कंपनियों की तादाद भी 24 से बढ़कर 28 पर पहुंच गई है। तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-50 कंपनियों में एमएफ निवेश 9.67 प्रतिशत के मुकाबले मामूली बढ़कर 9.75 प्रतिशत पर पहुंचा है।
स्मॉलकैप में एमएफ निवेश इस साल तेजी से बढ़ रहा है। मार्च 2021 से मार्च 2023 के बीच इस में औसत महज एक प्रतिशत तक की तेजी आई थी।
स्मॉलकैप योजनाओं ने अन्य विकल्पों के मुकाबले अपने शानदार प्रदर्शन की मदद से वित्त वर्ष 2024 में शानदार पूंजी निवेश दर्ज किया। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में, स्मॉलकैप योजनाओं का इक्विटी योजनाओं के कुल पूंजी निवेश में एक-तिहाई योगदान रहा। सात महीने की अवधि के दौरान इन योजनाओं में शुद्ध निवेश 25,500 करोड़ रुपये था।
मौजूदा समय में, स्मॉलकैप फंड सभी समय अवधियों के रिटर्न चार्ट पर ऊपर हैं। औसत तौर पर, इन योजनाओं ने पिछले एक साल में 36 प्रतिशत और तीन साल की अवधि में सालाना 35 प्रतिशत प्रतिफल दिया है।
जहां सक्रिय स्मॉलकैप फंडों ने इस सेगमेंट में बड़ी खरीदारी की, वहीं कुछ निवेश अन्य इक्विटी-केंद्रित और हाइब्रिड योजनाओं से भी स्मॉलकैप में आया।
हाल के महीनों में, विश्लेषकों और एमएफ अधिकारियों ने ऊंचे मूल्यांकन के बावजूद स्मॉलकैप शेयरों में लगातार बढ़ती दिलचस्पी पर अपनी चिंता जताई है। कुछ फंड हाउसों ने एकमुश्त निवेश लेना बंद कर दिया है।
पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) विनय पहाड़िया ने कहा, ‘हाल के महीनों में बाजार में तेजी के बाद हम इक्विटी बाजारों की अल्पावधि प्रतिफल संभावनाओं पर सतर्क हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप ताजा तेजी के बाद ज्यादा महंगे हो गए हैं। कमजोर (कम वृद्धि + कम गुणवत्ता) मिडकैप और स्मॉलकैप बुलबुले जैसी स्थिति में हैं और इसलिए सतर्कता बरतने की सलाह है।’
पहाड़िया का कहना है कि हालांकि दीर्घावधि निवेशकों के लिए अवसर मौजूद हैं, बशर्ते कि वे अच्छी गुणवत्ता वाली मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां हों और उनमें विकास की संभावनाएं हों।
ट्रस्ट एमएफ के सीआईओ मिहिर वोरा का कहना है कि भले ही पिछले एक साल में अवसर घटे हैं, स्मॉलकैप सेगमेंट में बड़ी तादाद में कंपनियों की मौजूदगी का मतलब है कि ऐसे शेयरों के लिए मांग हमेशा बनी हुई है।
स्मॉलकैप फंडों के लिए मांग में तेजी आने से इस सेगमेंट में ज्यादा संख्या में नई पेशकशों को भी बढ़ावा मिल रहा है। इस सप्ताह दो फंड हाउसों ने स्मॉलकैप योजनाएं पेश कीं। जहां मोतीलाल ओसवाल एमएफ ने ऐक्टिव फंड की शुरुआत की, वहीं डीएसपी एमएफ ने पैसिव फंड शुरू किया है, जो निफ्टी स्मॉलकैप 250 क्वालिटी-50 इंडेक्स के प्रदर्शन पर नजर रखेगा।
नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्लू स्टार, इमामी, कृष्णा इंस्टीट्यूट, चोला फाइनैंशियल और क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण अक्टूबर के अंत में स्मॉलकैप सेगमेंट में मुख्य एमएफ होल्डिंग थे।