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EV पर जेएसडब्ल्यू का दांव, एसएआईसी मोटर संग संयुक्त उद्यम के रॉयल्टी शुल्क पर बात शुरू

जेएसडब्ल्यू ने एमजी के साथ बातचीत शुरू की है, जो भारतीय साझेदार के साथ कामकाज जारी रखना चाहती है।

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देव चटर्जी   
Last Updated- December 11, 2023 | 10:48 PM IST

चीन की सबसे बड़ी वाहन कंपनी एसएआईसी मोटर और जेएसडब्ल्यू समूह ने भारत में अपने संयुक्त उद्यम द्वारा भुगतान की जाने वाली रॉयल्टी फीस पर बातचीत शुरू कर दी है, जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण और बिक्री करेगा।

यह बातचीत इस संयुक्त उद्यम के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एसएआईसी मोटर इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के मद्देनजर अधिक रॉयल्टी शुल्क प्राप्त करने की इच्छुक है, लेकिन जेएसडब्ल्यू समूह उद्योग बेंचमार्क के साथ जाना चाहता है।

बैंकिंग क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि वर्तमान में मारुति सुजूकी इंडिया अपनी शुद्ध आय का 3.6 प्रतिशत भुगतान अपनी मूल कंपनी सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन को रॉयल्टी शुल्क के रूप में करती है और इसे एक उद्योग बेंचमार्क माना जाता है।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा ‘वर्तमान में दोनों पक्ष संयुक्त उद्यम द्वारा भुगतान की जाने वाली रॉयल्टी फीस पर काम कर रहे हैं। जेएसडब्ल्यू, जिसके पास इस संयुक्त उद्यम में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, वह संयुक्त उद्यम में अन्य वित्तीय निवेशकों को भी शामिल करने की योजना बना रही है।’

सूत्र ने कहा, हमें अहसास हुआ है कि लाभ के साथ 15-20 लाख कारों का जादुई आंकड़ा पाने और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिहाज से यूरोपियन व अमेरिकी कार बाजारों के मुकाबले चीन सही मॉडल है। ऐसे में जेएसडब्ल्यू ने एमजी के साथ बातचीत शुरू की है, जो भारतीय साझेदार के साथ कामकाज जारी रखना चाहती है।

संयुक्त उद्यम को कामयाब बनाने के लिए रॉयल्टी शुल्क काफी अहम होता है। जेएसडब्ल्यू के अधिकारी इस संबंध में टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

नया संयुक्त उद्यम भारत में एसएआईसी मोटर के मौजूदा परिचालन एमजी मोटर इंडिया से स्वतंत्र होगा और इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है कि क्या ईवी कारोबार एसएआईसी की भारतीय सहायक से लेकर संयुक्त उद्यम को दिया जाएगा। सूत्र ने कहा, इस पर बातचीत चल रही है कि क्या एमजी मोटर के ईवी कारोबार को शामिल किया जाएगा और क्या संयुक्त उद्यम अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए फोर्ड का चेन्नई प्लांट खरीदेगा।

जेएसडब्ल्यू के अधिकारियों ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में टाटा, महिंद्रा, मारुति समेत भारतीय कंपनियां ईवी में आक्रामक तौर पर आगे नहीं बढ़ी हैं। कुछ इलेक्ट्रिक कार कंपनियों की तरफ से बनाए जा रहे मौजूदा वाहन आईसीई इंजन वाले कारों का रेट्रोफिट है और डिजायन के लिहाज से ईवी नहीं है। सूत्रों ने कहा, भारत के लिए डिजायन किए गए कुछ ईवी 2025 तक पेश किए जाएंगे।

अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार अभी 40 लाख सालाना का है, जो साल 2030 तक दोगुना हो जाएगा और इस बाजार का बड़ा हिस्सा ईवी हासिल करेगा।

एक सूत्र ने कहा, हमारा मानना है कि 80 लाख वाहनों का कम से कम 30 फीसदी ईवी या हाइड्रोजन ईंधन या वैकल्पिक इंधन वाला होगा, न कि पेट्रोल या डीजल इंजन वाला। ऐसे में हमें लगता है कि यह बड़ा मौका है और हमने बेहतर तकनीकी साझेदार की तलाश शुरू की और दुनिया भर के साझेदारों के बारे में अध्ययन किया।

First Published : December 11, 2023 | 10:48 PM IST