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इजरायल-हमास टकराव: वैश्विक संकटों पर रहेगा वित्त मंत्रालय के व्यय प्रबंधन का ध्यान

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि ऐसे में संकट की स्थिति में खर्च को लेकर नए सिरे से प्राथमिकता तय की जा सकेगी।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- October 23, 2023 | 9:46 PM IST

वित्त मंत्रालय की व्यय प्रबंधन की कवायद में अप्रत्याशित आपात स्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा, जो इस समय चल रहे इजरायल-हमास टकराव से पैदा हो सकती हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि ऐसे में संकट की स्थिति में खर्च को लेकर नए सिरे से प्राथमिकता तय की जा सकेगी।

अधिकारी ने कहा, ‘हमें व्यय की योजना बनाते समय समझदारी दिखानी होगी, क्योंकि वैश्विक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।’

वित्त मंत्रालय की सितंबर महीने की मासिक आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि फारस की खाड़ी में हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ गई हैं। आगे कच्चे तेल के दामों में उछाल आ सकती है।

इसके अलावा अमेरिका में लगातार जारी सख्त मौद्रिक नीति और अमेरिकी प्रतिभूतियों की आपूर्ति बहुत अधिक रहने की वजह से वित्तीय स्थिति ‘तंग’ हो सकती है और इससे अन्य देशों की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।

इस समय विभिन्न मंत्रालयों से अगले वित्त वर्ष के लिए उनकी मांग को लेकर बजट पूर्व चर्चा चल रही है और वित्त मंत्रालय ने कुल 102 मांगों में से 35 पर चर्चा पूरी कर ली है। वित्त मंत्रालय ने मंत्रालयों व केंद्र सरकार के विभागों से कहा है कि खर्च न की जा सकी राशि को ट्रेजरी सिंगल अकाउंट (टीएसए)और स्टेट नोडल अकाउंट (एसएनए) में रखें और अपनी मांग पेश करते समय इसे संज्ञान में लें।

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन व्यवस्था की नई अकाउंटिंग व्यवस्था में केंद्र सरकार की एजेंसियों और स्वायत्त निकायों के लिए टीएसए और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में में राज्यों के वित्त पोषण के लिए एसएनए की व्यवस्था की गई है। बजट पूर्व चर्चा 14 नवंबर को पूरी होने की संभावना है।

पूंजीगत व्यय जारी रहेगा

बहरहाल वित्त मंत्रालय तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय पर जोर जारी रखेगा। वित्त मंत्रालय के हाल के आंकड़ों के मुताबिक पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान के 50 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गया है।

अधिकारी ने संकेत दिया कि पूंजीगत व्यय तीसरी तिमाही में बजट अनुमान के 80 प्रतिशत तक पहुंच जाने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आगे की स्थिति को देखते हुए चौथी तिमाही में पूंजीगत व्यय पर जोर देने के लिए जगह बनाए रखेगी।

उन्होंने कहा कि सरकार की प्राप्तियां और व्यय पटरी पर हैं और यह 5.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अनुरूप है। अधिकारी ने कहा कि राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर बहुत चिंता की बात नहीं है। बहरहाल वित्त मंत्रालय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बढ़ी मांग को लेकर चिंतित है, जिससे सरकार के व्यय पर दबाव पड़ रहा है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बजट आवंटन मांग के मुताबिक होता है। हम इस पर ध्यान रखेंगे कि व्यय की सीमा तार्किक रहे।’

वित्त मंत्रालय को यह भी भरोसा है कि पिछले साल के विपरीत उर्वरक सब्सिडी में बजट आवंटन और संशोधित अनुमान के बीच अंतर नहीं रहेगा। वित्त वर्ष 23 में बजट अनुमान की तुलना में संशोधित अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 100 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई थी।

बढ़ रहा है लघु बचत में जमा

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना से जमा सितंबर 2023 में 160 प्रतिशत बढ़कर 74,675 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 28,715 करोड़ रुपये था। महिला सम्मान बचत योजना से वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही तक कुल संग्रह 13,512 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

लघु बचत से संग्रह बढ़ने से यह उम्मीद बढ़ी है कि बाजार से उधारी पर निर्भरता कम होगी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लघु बचत के बेहतर प्रदर्शन से सरकार को उधारी योजना में लचीलापन मिला है।

बहरहाल अधिकारी ने कहा कि सरकार की उधारी उत्पादक संपत्ति में लगी है। अधिकारी ने कहा, ‘हम अपने ऋण को प्रबंधन की सीमा मे बनाए रखने में सक्षम होंगे। हमने कुल मिलाकर कर्ज में गिरावट देखी है। उधारी की औसत अवधि 13 साल है।’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि सरकार कुल मिलाकर कर्ज को कम करने की राह तलाश रही है, जिससे आने वाली पीढ़ियों पर बोझ न पड़े।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक भारत का बाहरी ऋण और जीडीपी का अनुपात जून 2023 के अंत में घटकर 18.6 प्रतिशत रह गया है, जो मार्च 2023 के अंत तक 18.8 प्रतिशत था।

First Published : October 23, 2023 | 9:38 PM IST