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भारत-रूस समुद्री मार्ग की योजना अंतिम चरण में

कोकिंग कोल के कुल वैश्विक कारोबार में भारत 22 फीसदी आयात करता है। इसमें ज्यादातर कोकिंग कोल ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जाता है।

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शाइन जेकब   
ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- November 13, 2023 | 11:09 PM IST

भारत के चेन्नई बंदरगाह से रूस के व्लादीवोस्तक बंदरगाह के बीच अक्टूबर में पोत को परीक्षण के तौर पर भेजा गया। यह सोवियत संघ के दौर के समुद्री व्यापार मार्ग को फिर से शुरू करने का प्रयास है।

चेन्नई में रूस संघ के वाणिज्य दूत ओलेग एन अवदीव ने बताया कि इस रास्ते से आने-जाने में केवल 17 दिन लगे। हालांकि भारत के बंदरगाहों से स्वेज नहर के जरिये सेंट पीटर्सबर्ग तक जाने जाने में आमतौर पर 35-40 दिन लगते हैं।

अवदीव ने बताया, ‘हम चेन्नई-व्लादीवोस्तक समुद्री रास्ते को असलियत में शुरू करने के अंतिम दौर में हैं। इस समुद्री मार्ग को ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर (ईएमसी) के नाम से जाना जाता है और यह भारत के पूर्वी तट और रूस के सुदूर पूर्वी तट को जोड़ता है। रूस के अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम इस मार्ग को मंजूरी देने के अंतिम चरण में हैं।

अवदीव ने बताया कि रूस के प्रतिनिधि अंतिम विचार-विमर्श के लिए भारत आने को तैयार थे और मुख्य कार्यक्रम चेन्नई में होना था। भारत के अधिकारियों के मुताबिक यह कार्यक्रम जनवरी में होने की उम्मीद है।

भारत के अधिकारी इस मार्ग से कारोबार वाली प्रमुख जिंसों की पहचान कर चुके हैं। इनमें कोकिंग कोल, कच्चा तेल, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और उर्वरक शामिल हैं।

अवदीव ने बताया कि स्वेज नहर पर यातायात का दबाव अधिक है। इस प्रस्तावित मार्ग से पूर्व सोवियत संघ के दौर में कारोबार होता था। इस मार्ग से यातायात का समय और दूरी कम हो जाएगी।

अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में अन्य देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर भी इस मार्ग से जुड़ेंगे। नया समुद्री मार्ग 40 फीसदी छोटा है। चेन्नई से सेंट पीटर्सबर्ग का नया मार्ग 5,647 समुद्री मील है जबकि अभी दूरी 9,450 समुद्री मील है।

चेन्नई बंदरगाह ट्रस्ट के चेयरपर्सन सुनील पालीवाल ने बताया, ‘इस दिशा में काम तेजी से जारी है। चेन्नई बंदरगाह को अध्ययन और संभाव्यता का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई है। हमने चार जिंसों के थोक कारोबार की पहचान की है और इनका कारोबार बढ़ने की व्यापक संभावना है। हमने पाया है कि यदि हम सुदूर पूर्व रूस से कोकिंग कोयला लेते हैं तो यह 1000 रुपये प्रति टन सस्ता होगा। ऐसा करने पर हम विभिन्न देशों से कोकिंग कोयला हासिल कर सकते हैं।’

कोकिंग कोल के कुल वैश्विक कारोबार में भारत 22 फीसदी आयात करता है। इसमें ज्यादातर कोकिंग कोल ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जाता है।

First Published : November 13, 2023 | 10:52 PM IST