अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यकारी बोर्ड ने अपने सदस्यों के कोटा में 50 फीसदी इजाफे का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। यह इजाफा उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में ही होगा।
गवर्नर्स ऑफ बोर्ड कोटे की 16वीं सामान्य समीक्षा के दौरान इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श कर प्रभावी बनाया जाएगा। यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय समिति (आईएमएफसी) की 2023 की सालाना बैठक के निर्देशों के अनुरूप है।
वैश्विक ऋणदाता ने आज अपने बयान में कहा, ‘यह प्रस्ताव कोटा 50 फीसदी बढ़ाने पर केंद्रित है। सदस्यों को उनके आबंटित कोटे के अनुरूप ही कोटा बढ़ाया जाएगा। इससे आईएमएफ के स्थायी संसाधन के साथ-साथ कोटे से धन जुटाने का तरीका भी मजबूत होगा। ऐसा करने से उधारी लेना कम होगा और कोटे से धन जुटाने का प्राथमिक तरीका सुनिश्चित हो पाएगा।’
अभी भारत के कोटे में 13,1144 लाख एसडीआर है और इससे भारत की हिस्सेदारी 2.75 प्रतिशत हो जाती है। इसकी बदौलत भारत का आईएमएफ में आठवां सबसे बड़ा कोटा है। कोटे के आधार पर भारत के 1,32,063 वोट हैं और इन वोटों की हिस्सेदारी 2.63 फीसदी है।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि यह बढ़ोतरी आईएमएफ के संसाधनों को मजबूत, कोटा आधारित और पर्याप्त रूप से बढ़ने में मदद करेगी। यह वैश्विक वित्तीय सुरक्षा के जाल को मजबूत करने पर केंद्रित है। साथ ही इससे आईएमएफ के पास पर्याप्त संसाधन हो सकेंगे।
आईएमएफ इन संसाधनों की बदौलत ही वैश्विक वित्तीय स्थायित्व को अनिवार्य रूप से सुरक्षा मुहैया करवा पाएगा। इसके अलावा सदस्य देशों की अनिश्चित व जोखिम ग्रस्त दुनिया की संभावित जरूरतों को पूरा कर पाएगा।
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था और आईएमएफ के सदस्यों के जटिल समय के दौरान कोटे में प्रस्तावित वृद्धि की पेशकश की गई। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना के अनुकूल है। मुझे उम्मीद है कि इस प्रस्ताव को सदस्यों से व्यापक समर्थन मिलेगा और हम 17वीं समीक्षा के तहत कोटा को समय के अनुसार आगे बढ़ाने की दिशा में प्रगति करेंगे।’
इस प्रस्ताव में भविष्य की यह संभावना जताई गई है कि एक बार कोटा प्रणाली के बढ़ने पर उधारी से संसाधन जुटाने कम होंगे। इस क्रम में द्विपक्षीय उधारी समझौतों और उधारी के नए समझौतों (एनएबी) से उधारी जुटाने में कमी आएगी। यह हालिया उधारी क्षमता को घटाने में भी मदद करेगी।
आईएमएफ ने कहा, ‘सदस्यों ने कोटा हिस्सेदारी को यथार्थपरक बनाने की जरूरत व महत्त्व को स्वीकार किया है। सदस्य देशों का कोटा बढ़ने से विश्व अर्थव्यवस्था में उनकी स्थिति बेहतर हो सकेगी। इस क्रम में सबसे गरीब देशों के कोटे की हिस्सेदारी की भी रक्षा की गई है। अभी कई देशों ने कोटे बढ़ाने के प्रस्तावित बदलाव के साथ कोटे को समय के अनुरूप बनाने का समर्थन किया है।
हालिया प्रस्ताव की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कार्यकारी बोर्ड को जून 2025 तक भविष्य के समय के अनुरूप संभावित तरीका विकसित करना है। इसके तहत कोटे का नया फॉर्मूला भी शामिल है जिसे पर 17वीं सामान्य समीक्षा में विचार –विमर्श होगा।’
आईएमएफ के वित्तीय और शासन के ढांचे में कोटे से ब्लॉक बन रहे हैं। किसी देश का कोटा विश्व अर्थव्यवस्था में उसकी स्थिति को प्रदर्शित करता है।
आईएमएफ की अकाउंट की इकाई ‘स्पेशल ड्राइंग राइट्स’ (एसडीआर) कोटा प्रदर्शित करती है। यह प्रदर्शित करता है कि आईएमएफ को कितने अधिकतम वित्तीय संसाधन मुहैया कराने होंगे। यह वोटिंग शक्ति का भी निर्धारक है। इससे यह भी तय होता है कि सदस्य अधिकतम कितना ऋण प्राप्त कर सकता है।
आईएमएफ के गवर्नर्स का बोर्ड कम से कम पांच साल में सामान्य कोटे की समीक्षा करता है। कोटे में किसी भी तरह के बदलाव के लिए कुल वोट देने वाले सदस्यों के 85 प्रतिशत व संबंधित देश की सहमति के बाद ही बदलाव किया जा सकता है। अभी 16वीं समीक्षा जारी है और दिसंबर के मध्य तक पूरी होने की उम्मीद है।