भारी उद्योग मंत्रालय में संयुक्त सचिव हनीफ कुरेशी ने बुधवार को कहा कि सरकार खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जा निर्माण में लगी कंपनियों के शोध एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना लाने पर विचार कर रही है।
कुरेशी ने ऑटोमोटिव कम्पोनेंट मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) के सालाना सम्मेलन के दौरान कहा कि सरकार की यह कोशिश न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य पर्यावरण अनुकूल वाहनों के लिए है बल्कि इससे स्थानीयकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि स्थानीयकरण को तभी बल मिल सकेगा जब कंपनियां आरऐंडडी में निवेश करें।
कुरेशी ने कहा, ‘हम भारत में फेम (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेज इस्तेमाल एवं निर्माण)-2 योजना के अंतिम चरण में हैं। इस योजना में करीब 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यदि आप पीएलआई वाहन योजना (जिसमें 26,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे) पर विचार करें तो आरऐंडडी निवेश कुल राशि में शामिल है। स्थिति पीएलआई एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) स्कीम में समान है, जिसमें 18,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार की ओर से आरऐंडडी में निवेश के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने वाहन और वाहन कलपुर्जा क्षेत्रों के लिए फरवरी में पीएलआई योजना शुरू की थी। वर्ष 2021 में, सरकार ने एसीसी निर्माताओं के लिए पीएलआई की शुरुआत की। सरकार सभी जरूरी रियायतें दे रही है, क्योंकि मौजूदा समय में ईवी के लिए कलपुर्जे बड़ी संख्या में बाहर से मंगाए जाते हैं। कुरेशी ने कहा कि वाहन उद्योग आरऐंडडी में निवेश कर रहा है, लेकिन उसे इसकी रफ्तार बढ़ाए जाने की जरूरत है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में ‘फार्म इक्विपमेंट सेक्टर’ के अध्यक्ष हेमंत सिक्का ने कहा कि यदि भारत को ईवी प्रौद्योगिकियों में बढ़त बना रहे चीन से मुकाबला करना है तो देश को शोध एवं विकास क्षेत्र में बड़ी मात्रा में निवेश शुरू करना होगा।
सिक्का ने कहा, ‘मेरा मानना है कि एक देश के तौर पर हम आरऐंडडी में कम निवेश कर रहे हैं। आरऐंडडी पर भारत द्वारा किए जाने वाले खर्च की तुलना में चीन 20 गुना ज्यादा निवेश करता है। यह बड़ा अंतर है।’