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सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की शर्तों को अगले कुछ हफ्तों में अंतिम रूप देगा दूरसंचार विभाग

सैटेलाइट अथवा ऑरबिट रेडियो स्पेकट्रम का एक खंड है जो तब उपलब्ध होता है जब सैटेलाइट को ऑरबिट में स्थापित किया जाता है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- April 24, 2024 | 10:41 PM IST

दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) अगले कुछ हफ्तों में सैटेलाइट स्पेक्टरम के प्रशासनिक आवंटन के लिए संदर्श की शर्तों (TOR) को अंतिम रूप देगा। सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल सैटेलाइट स्पेकट्रम के लिए स्पेकट्रम आवंटन रूट को अनिवार्य बनाने वाले दूरसंचार विधेयक के आलोक में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा इस मसले पर पुराना परामर्श खत्म हो गया है।

दूरसंचार विभाग द्वारा टीओआर देने के बाद ट्राई इस मसले पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू करेगा। एक सूत्र ने कहा, ‘आवंटन की पद्धति के अलावा, टीओआर में उपयोग की जाने वाली फ्रिक्वेंसी, स्पेक्ट्रम की कीमत और राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में उपग्रह ऑपरेटरों द्वारा पूरी की जाने वाली नियम और शर्तों की जानकारी रहेगी।’

सैटेलाइट अथवा ऑरबिट रेडियो स्पेकट्रम का एक खंड है जो तब उपलब्ध होता है जब सैटेलाइट को ऑरबिट में स्थापित किया जाता है।

इसकी नीलामी की जानी चाहिए या सरकार इसे आवंटित करे इस मसले पर बीते कुछ वर्षों से बहस छिड़ी हुई है। लेकिन, दूरसंचार अधिनियम 2023 में सैटेलाइट आधारित सेवाओं को उन 19 क्षेत्रों की सूची में शामिल किया गया था जहां केंद्रो को प्रशासनिक रूप से आवंटित स्पेक्ट्रम का अधिकार है। इस तरह वह बहस भी खत्म हो गई जिसने दूरसंचार उद्योग को बांटा था।

First Published : April 24, 2024 | 10:01 PM IST