करीब 19 साल पुराने बिड़ला-लोढ़ा वसीयत के संघर्ष में कलकत्ता उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने गुरुवार को प्रियंवदा बिड़ला के एस्टेट के आकार को संशोधित किया और एपीएल (एडमिनिस्ट्रेटिव पेंडेंट लाइट) कमेटी की शक्तियां निर्धारित कर दीं।
हर्ष लोढ़ा के पक्ष ने दावा किया कि यह फैसला उनके हक में है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने एक आदेश जारी कर हर्ष वर्धन लोढ़ा को एमपी बिड़ला समूह की विभिन्न कंपनियों, ट्रस्टों और सोसायटी में पद से हटाने का निर्देश दिया था।
हर्ष लोढ़ा के वकील देवांजन मंडल, फॉक्स ऐंड मंडल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, आज का आदेश प्रभावी तौर पर हर्ष लोढ़ा को एमपी बिड़ला समूह की कंपनियों, ट्रस्टों और सोसायटी में चेयरमैन व निदेशक के तौर पर बने रहने के मामले की परेशानियों को दूर करता है।
बिड़ला पक्ष के वकील एनजी खेतान (वरिष्ठ पार्टनर, खेतान ऐंड कंपनी) ने कहा, अपील कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के आदेश को कुछ सीमा तक संशोधित किया है, जो आंशिक तौर पर अपीलकर्ता और आंशिक तौर पर प्रतिवादी के हक में है।
हालांकि उन्होंने कहा कि हर्ष वर्धन लोढ़ा को एमपी बिड़ला समूह की किसी भी इकाई में कोई पद लेने से रोकने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को अपील कोर्ट ने संशोधित नहीं किया है और कहा है कि लोढ़ा पर यह पाबंदी जारी रहेगी। एस्टेट के आकार को लेकर संशोधन वाले आदेश के एक हिस्से के खिलाफ बिड़ला पक्ष की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
खंडपीठ ने कहा है कि एस्टेट की सीमा उनके पास मौजूद शेयरों तक सीमित है। पहले अदालती आदेश में कहा गया था कि एस्टेट का विभिन्न कंपनियों, ट्रस्टों और सोसायटी में नियंत्रक हित है।
एपीएल कमेटी की शक्तियों पर पीठ ने कहा कि एपीएल मृत महिला की वैध वसीयत के हिसाब से चल सकती है, न कम और न ही ज्यादा।