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IIP में वृद्धि के बावजूद 2022-23 में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन गिरा

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इंदिवजल धस्माना
Last Updated- May 15, 2023 | 10:57 PM IST

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के हाल के जारी आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता वस्तुओं, खासकर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन 2022-23 में पिछले साल की तुलना में खराब रहा है। अगर हम कोविड के पहले के उत्पादन से वित्त वर्ष 23 की तुलना करें तो उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन और खराब नजर आता है।

हालांकि उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन 2022-23 में महज 0.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसके पहले साल 3.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं कोविड के पहले के साल 2019-20 से तुलना करें तो उत्पादन में करीब 4 प्रतिशत का संकुचन आया है। 2019-20 में उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 8.7 प्रतिशत गिरावट के बावजूद यह स्थिति है। अगर हम एक साल पहले की बात करें तो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन 2018-19 की तुलना में 2022-23 में उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है।

2022-23 के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं में 7 महीनों में गिरावट आई है। यह कहानी अन्य क्षेत्रों में अलग है क्योंकि 2022-23 में आईआईपी 5.1 प्रतिशत बढ़ा है, जबिक इसके पहले के साल में 11.4 प्रतिशत बढ़ा था। 2019-20 की तुलना में यह 7.2 प्रतिशत, जबकि 2018-19 की तुलना में 6.3 प्रतिशत बढ़ा है।

विनिर्माण क्षेत्र में 2022-23 में 4.5 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि इसके पहले के साल में 11.8 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। यह उपभोक्ता वस्तुओं का व्यापक क्षेत्र है। 2019-20 की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में 2022-23 में 5.6 प्रतिशत और 2018-19 की तुलना में 4.1 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

उपभोक्ता वस्तुओं के खराब प्रदर्शन की वजह बढ़ी महंगाई और कोविड के दौर में कमाई घटने की वजह से मांग स्थिर होना है। महंगाई दर में हाल में आई गिरावट से इस क्षेत्र पर सकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। उदाहरण के लिए 2022-23 में ऑटोमोबाइल उत्पादन 12.55 प्रतिशत बढ़कर 259 लाख हो गया है, जो इसके पहले के साल में 230 लाख था।

बहरहाल सोसाइटी फार इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 की तुलना में उत्पादन 1.6 प्रतिशत कम है और 2018-19 की तुलना में 16.1 प्रतिशत कम है।

ध्यान देने वाली बाद है कि सियाम के आंकड़े ताजा हैं, जबकि आईआईपी एक सूचकांक है, जिसका आधार वर्ष 2012 है। इस तरह से दोनों आंकड़ों की अक्षरशःतुलना नहीं हो सकती, लेकिन व्यापक रूप से इससे संकेत मिलते हैं।

बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मांग की स्थिति के कारण उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन कम बना हुआ है। उन्होंने कहा कि उच्च महंगाई दर के साथ आमदनी में कम बढ़ोतरी के कारण मांग पर असर पड़ा है। इसमें ग्रामीण मांग भी शामिल है, जो उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है।

उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में स्थिति उतनी निराशाजनक नहीं रही है, जितनी उपभोक्ता वस्तुओं में रही है। लेकिन इस में भी कुछ उल्लेखनीय नहीं है। इस सेग्मेंट को रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान (एफएमसीजी) कहा जाता है। 2022-23 के दौरान आईआईपी में यह 0.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसके पहले के साल में 3.2 प्रतिशत बढ़ा था। यह 2019-20 की तुलना में 1.4 प्रतिशत और 2018-19 की तुलना में 1.3 प्रतिशत ज्यादा है।

First Published : May 15, 2023 | 10:57 PM IST