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20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने में किंतु-परंतु

यदि किसी अन्य अनाज की अपेक्षा मक्के का इस्तेमाल किया जाता है तो ‘खाने की जगह ईंधन बनाने’ का विवाद भी कम प्रभावित होता है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- December 08, 2023 | 11:05 PM IST

सरकार मक्के को एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम का एक प्राथमिक उत्पाद बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसका कारण यह है कि हर महीने चीनी की आपूर्ति में दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं।

लिहाजा सरकार राज्य सरकार की एजेंसियों की मदद से किसानों से कम से कम 1,00,000 टन मक्के को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारियों ने मक्के की खरीद की व्यापक योजना पर विचार-विमर्श किया था। इस दौरान राज्य सरकार की एजेंसियों को वित्तीय मदद देने के मुद्दे पर गंभीरता से विचार-विमर्श हुआ।

खरीद के सालाना प्रस्ताव को नेफेड, राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों की मदद से पूरा किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक यह परियोजना तीन वर्षों के लिए प्रस्तावित है। इस कदम से मक्के की अर्थव्यवस्था को विशेष तौर पर बल मिलना चाहिए। इसमें मक्के को एथनॉल उत्पादन के फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल किया जाना है।

मक्के की खरीद का मूल्य तय नहीं है। इसलिए हाल के वर्षों में आपूर्ति अधिक होने पर दामों में खासा बदलाव हुआ है। इससे किसान मक्का उत्पादन को लेकर हतोत्साहित हुए हैं।

संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार मक्का से दूसरा सर्वाधिक औसत एथनॉल पैदा होता है। एक टन मक्के से औसतन 380 लीटर एथनॉल मिलता है। भारत में एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में चावल के बाद दूसरे स्थान पर मक्का आता है।

विशेषज्ञ लंबे समय से मक्के को अनाज या गन्ने की जगह इस्तेमाल करने की वकालत कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि अनाज और गन्ने की फसल तैयार करने में अधिक पानी की खपत होती है। मक्के को कम पानी की जरूरत होती है और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को आसानी से झेल सकता है।

दूसरा यदि किसी अन्य अनाज की अपेक्षा मक्के का इस्तेमाल किया जाता है तो ‘खाने की जगह ईंधन बनाने’ का विवाद भी कम प्रभावित होता है। हालांकि भारत में 2019-20 के बाद से मक्के के उत्पादन में व्यापक सुधार हुआ है लेकिन अभी भी विश्व के मानदंडों से कम है। दोनों सत्रों (खरीफ और रबी) में मक्के का उत्पादन बढ़ा है।

फसल वर्ष 2019-20 में मक्के का उत्पादन करीब 2.9 करोड़ टन हुआ था और यह फसल वर्ष 2022-23 में करीब 3.5 करोड़ टन हुआ था। भारत में मक्के का औसत उत्पादन 4,000-5,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जबकि वैश्विक औसत 6,000-8,000 किलोग्राम है।

अमेरिका में मक्के का औसत उत्पादन 11,000 किलोग्राम से अधिक प्रति हेक्टेयर है। हाल ही में अनाज आधारित एथनॉल निर्माताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय से अनुरोध किया था कि वे तेल विपणन कंपनियों को खराब अनाज व मक्के से तैयार होने वाले एथनॉल को खरीदने का मूल्य बढ़ाने का तत्काल निर्देश दें।

First Published : December 8, 2023 | 9:58 PM IST