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एआई, एजेंटिक एआई से बदल रही सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग

विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्टिंग की सभी नौकरियां खतरे में नहीं है। करीब 40 फीसदी निचले स्तर की नौकरियों पर खतरा है

Published by
अविक दास   
Last Updated- May 20, 2025 | 11:28 PM IST

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और एजेंटिक एआई टेक्नोलॉजिज की वजह से सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के काम में बड़ा बदलाव आ रहा है। सॉफ्टवेयर तैयार करने के जीवन चक्र (एसडीएलसी) में टेस्टिंग हमेशा एक तय तरीके से चलने वाला काम रहा है लेकिन एआई से होने वाला ऑटोमेशन, अब बार-बार दोहराई जाने वाली और नियम आधारित टेस्टिंग खुद ही कर रहा है। इससे क्वालिटी एश्योरेंस (क्यूए) और क्वॉलिटी कंट्रोल (क्यूसी) का काम करने वालों को तरीके बदलने पड़ रहे हैं क्योंकि ऐसा नहीं करने पर उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

विशेषज्ञ कर्मचारियों से जुड़ी कंपनी एक्सफीनो के डेटा के मुताबिक देश के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में फिलहाल 3.75 लाख से अधिक सक्रिय पेशेवर टेस्टिंग और क्यू तथा क्यूसी काम से जुड़े हैं जिनके अनुभव का दायरा अलग-अलग है। हालांकि पिछले 12 महीने में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की यह संख्या लगभग स्थिर है और इसमें 1 फीसदी से भी कम वृद्धि हुई है। शुरुआती स्तर पर जो नए लोग जुड़े हैं उनमें ज्यादातर कम अनुभव वाले लोग हैं और इन्हें अधिकतम छह साल का अनुभव है। वहीं मध्यम स्तर के अधिक अनुभव रखने वाले लोगों की संख्या कम हुई है या फिर स्थिर रही है।

एक्सफीनो के सह संस्थापक कमल कारंत ने बताया, ‘यह कमी मुख्य रूप से लोगों के स्वाभाविक तरीके से नौकरियां छोड़ने के कारण है क्योंकि कंपनियां भी नए लोगों की भर्ती नहीं कर रही हैं। तकनीकी क्षेत्र में टेस्टिंग और क्यूए/क्यूसी से जुड़े क्षेत्र में फिलहाल एआई के हस्तक्षेप और उसके प्रभाव को देखने के लिए कंपनियां थोड़ा इंतजार कर रही हैं।’

विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्टिंग की सभी नौकरियां खतरे में नहीं है। करीब 40 फीसदी निचले स्तर की नौकरियों पर खतरा है जिसमें दोहराए जाने या हस्तांतरित किए जाने की गुंजाइश होती है। आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे एजेंटिंक एआई टूल और उसकी प्रक्रिया और बेहतर होगी वैसे-वैसे शुरुआती स्तर पर इस क्षेत्र के लिए काम करने वाले लोगों की संख्या घटेगी। टेस्ट इंजीनियर, ऐप्लिकेशन टेस्टर, क्यूए टेस्टर, सॉफ्टवेयर टेस्ट इंजीनियर और क्यूए इंजीनियर जैसी भूमिकाओं को एआई से बदला जा सकेगा।

एवरेस्ट ग्रुप के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष पीटर बेंडोर सैम्यूल ने कहा, ‘यह बेहद संभव है कि अगले 2-5 वर्षों में ही यह बेहद लाभदायक कारोबार पूरी तरह से प्रभावित होगा और टेस्टिंग के काम में एआई मॉडल वाली कंपनियों का दबदबा होगा और यह एआई कोडिंग प्लेटफॉर्म का हिस्सा बन जाएगा।’

अधिकतर आईटी सेवा कंपनियां क्यूए और क्यूसी को अलग से नहीं दिखाती हैं लेकिन उनकी कमाई में इनका बड़ा योगदान होता है। अधिकतर ऐप्लिकेशन, रखरखाव एवं विकास (एडीएम) का इस क्षेत्र की कमाई में अब तक बड़ा हिस्सा है जिसमें क्यूए एवं क्यूसी सेवाएं शामिल होती हैं।

एचएफएस रिसर्च में प्रैक्टिस लीडर (बीएफएस और आईटी सेवा) हंसा अय्यंगार ने कहा, ‘टेस्टिंग हमेशा से ऑटोमेशन के लिए आसान काम रहा है और यह सॉफ्टवेयर तैयार करने की प्रक्रिया में यह ऑटोमेशन का सबसे अहम पहलू है।’

इसका अर्थ यह हुआ कि बेहद लोकप्रिय ऑटोमेशन टेस्टिंग टूल जैसे कि सेलेनियम, साइप्रेस, प्लेराइट और एपियम जैसे ऑटोमेशन टूल इन इंजीनियरों का नियमित काम करने से काफी वक्त बचा रहे हैं। अब उन्हें केवल स्क्रिप्ट को ठीक करने के बजाय टेस्टिंग की पूरी रणनीति पर ध्यान देना होगा।

अब कई टेस्टिंग टूल वास्तव में टेस्टिंग का समय बचा रहे हैं, अब ज्यादा चीजों की टेस्टिंग हो पा रही है और विकास की पूरी प्रक्रिया के दौरान ही गुणवत्ता की जांच हो रही है। वहीं एजेंटिंक एआई तो एक कदम और आगे बढ़ गया है। अब यह खुद ही ठीक की जाने वाली स्क्रिप्ट और खुद से चलने वाले टेस्ट एजेंट बना रहा है जो इंसानों के हस्तक्षेप के बिना ही कोड में बदलाव के हिसाब से ढल सकते हैं। इसके कारण टेस्टिंग ज्यादा मजबूत और बड़े पैमाने पर हो जाती है।

अय्यंगार ने कहा, ‘टेस्टर के लिए यह बदलाव नौकरी जाने से कहीं ज्यादा काम को नया रूप देने जैसा है। जब रोजमर्रा के काम अपने आप होने लगेंगे तब टेस्टर का काम बदल जाएगा और उन्हें एआई सिस्टम पर नजर रखनी होगी, फैसले लेने होंगे और इसके साथ ही मिलकर काम करना होगा। टेस्टर अब जटिल स्थितियों, एआई के नतीजों को जांचने के साथ ही कारोबारी लक्ष्यों के अनुरूप टेस्टिंग की रणनीति बनाने पर ध्यान देंगे।’

First Published : May 20, 2025 | 10:57 PM IST