देश के अग्रणी यात्री वाहन निर्माताओं की नजर वॉल्यूम और भविष्य की तकनीक में निवेश पर है, ऐसे में उन्होंने अगले कुछ साल में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश का खाका तैयार किया है।
वाहन दिग्गजों मसलन टाटा मोटर्स (Tata Motors), महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (M&M), मारुति सुजूकी इंडिया (Maruti Suzuki India), ह्युंडै मोटर इंडिया, जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया, निसान मोटर कॉरपोरेशन और रेनो एसए ने उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी, वाहनों के विकास पर बड़े निवेश के अलावा और स्वच्छ व पर्यावरण अनुकूल तकनीक को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।
पिछले हफ्ते इलेक्ट्रिक वाहन (EV) में भारत की अग्रणी टाटा मोटर्स ने कहा था कि वह वित्त वर्ष 2030 तक अपनी ईवी इकाई में 16 से 18,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बना रही है। इलेक्ट्रिक वाहन के चार मॉडलों की बिक्री करने वाली कंपनी का इरादा मार्च 2026 तक छह और मॉडल उतारने का है।
निवेश की घोषणा ऐसे समय पर हो रही है जब वाहन दिग्गज वित्त वर्ष 30 तक यात्री वाहन बाजार में 20 फीसदी हिस्सेदारी का लक्ष्य लेकर चल रही है और उसे उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक वाहन उस समय तक अपने पोर्टफोलियो में 30 फीसदी का योगदान करेगा।
पिछले तीन साल में टाटा मोटर्स के लिए बिक्री दमदार रही
पिछले तीन साल में टाटा मोटर्स (Tata Motors) के लिए बिक्री दमदार रही है और यह वित्त वर्ष 2021-22 के 3.72 लाख के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में 5.41 लाख और वित्त वर्ष 2023-24 में 5.73 लाख वाहन पर पहुंच गई।
चूंकि देसी यात्री वाहन बाजार में बाजार हिस्सेदारी को लेकर संघर्ष केंद्र में आ गया है, लिहाजा ज्यादातर कंपनियां ज्यादा उत्पादन क्षमता तैयार करने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय यात्री वाहन बाजार वित्त वर्ष 30 तक 60 लाख वाहन पर पहुंचने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 24 में 43 लाख रहा है।
कोरियाई वाहन दिग्गज ह्युंडै मोटर (जो भारत में आईपीओ लाने की तैयारी में है) ने अगले 10 साल में 32,000 करोड़ रुपये के निवेश का खाका खींचा है। ह्युंडै मोटर 6,000 करोड़ रुपये का निवेश हाल में अधिग्रहीत तलेगांव स्थित जनरल मोटर्स के प्लांट में करेगी। साथ ही वह तमिलनाडु में उत्पादन क्षमता बढ़ाने, कलपुर्जे, इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण, चार्जिंग स्टेशन और स्किल डेवलपमेंट पर अगले 10 साल में 26,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी।
कंपनी ने वित्त वर्ष 24 में भारत में करीब 6.14 लाख वाहन बेचे और भारत में सालाना आधार पर 8.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज्र की। देसी बाजार में 14.6 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली कोरियाई कंपनी का स्थान भारत में मारुति के बाद दूसरा है, जिसके पास 41.7 फीसदी हिस्सेदारी है। सायम के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
मारुति ने साल 2023 में ऐलान किया था कि वह पहली ईवी एसयूवी 2023-24 में उतारेगी। हालांकि अब इसे उतारने की तारीख 2024-25 हो गई है। कुल मिलाकर मारुति का इरादा 2029-30 तक भारत में छह ईवी उतारने का है।
मारुति सुजूकी दशक के मध्य तक 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी दोबारा पाने की कोशिश कर रही है, ऐसे में उसने क्षमता निर्माण और नए मॉडलों के विकास आदि पर 2024-25 में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा खरखोदा (हरियाणा) के पहले प्रोडक्शन लाइन के तैयार करने पर होगा, जो 2025 में चालू होने की संभावना है। कंपनी अभी हर साल 23.5 लाख वाहनों का उत्पादन करती है।
मारुति ने 2030-31 तक उत्पादन क्षमता 40 लाख वाहन सालाना करने और अपने वाहनों का रेंज 28 मॉडलों तक करने के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश का खाका खींचा है।
मारुति ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि साल 2030-31 तक उसकी तरफ से बेचे जाने वाले वाहनों में ईवी का हिस्सा 15-20 फीसदी होगा। 25 फीसदी हाइब्रिड और बाकी एथेनॉल, सीएनजी व संभावित कंप्रेस्ड बायोगैस वाले होंगे।
इसी तरह महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के निदेशक मंडल ने पिछले महीने ईवी इकाई में 12,000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी है, जो अगले तीन साल के लिए होगा। कंपनी फर्स्ट सेट ऑफ बॉर्न ईवी को कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में उतारेगी। 2027 तक एमऐंडएम की कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी करीब 20-30 फीसदी होगी।
मार्च में चीन की वाहन दिग्गज एसएआईसी मोटर (जिसके पास एमजी मोटर इंडिया का स्वामित्व है) और जेएसडब्ल्यू समूह ने संयुक्त उद्यम जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है। इस साझेदारी में जेएसडब्ल्यू के पास 35 फीसदी हिस्सेदारी है। संयुक्त उद्यम न्यू एनर्जी व्हीकल व आईसीई वाहन विकसित करने पर करीब 5,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी, जो भारत व निर्यात बाजार के लिएहोगा। भारतीय ईवी बाजार में एमजी मोटर अभी दूसरे पायदान पर है।
दक्षिण कोरिया की कार निर्माता किया इंडिया की योजना 2025 में ईवी उतारने की है, जो खास तौर से भारतीय बाजार के लिए डिजायन किया हुआ होगा।
पिछले साल निसान व रेनो ने भारत में छह उत्पाद विकसित करने के लिए 5,300 करोड़ रुपये के निवेशका ऐलान किया था, जो देसी व निर्यात बाजार के लिए होगा।