भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान अपने महत्वपूर्ण चरणों में पहुंच चुका है और इसके बाद भारत 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)’ स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय को उतारने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद को सूचित किया कि गगनयान कार्यक्रम के तहत तकनीकी विकास, परीक्षण और बुनियादी ढांचे की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
- ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3): सभी विकास कार्य और ग्राउंड टेस्टिंग पूरी।
- ऑर्बिटल मॉड्यूल: क्रू और सर्विस मॉड्यूल के प्रणोदन तंत्र विकसित व परीक्षण पूरे, ECLSS इंजीनियरिंग मॉडल तैयार।
- क्रू एस्केप सिस्टम (CES): पाँच प्रकार के मोटर्स विकसित और सफलतापूर्वक स्थिर परीक्षण किया गया।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर:
- ऑर्बिटल मॉड्यूल प्रिपरेशन सुविधा
- गगनयान कंट्रोल सेंटर
- क्रू ट्रेनिंग सेंटर
- द्वितीय लॉन्च पैड में बदलाव
- प्रीकर्सर मिशन: CES को जांचने के लिए टेस्ट व्हीकल (TV-D1) उड़ाया जा चुका है। अगला परीक्षण TV-D2 और IADT-01 की तैयारी जारी।
- ग्राउंड नेटवर्क: संचार नेटवर्क पूरा, IDRSS-1 फीडर स्टेशन और स्थलीय लिंक स्थापित।
- क्रू रिकवरी ऑपरेशंस: रिकवरी योजना तैयार, संसाधन तय।
- पहला अनक्रूड मिशन (G1): C32-G स्टेज और CES मोटर पूरी, HS200 मोटर और क्रू मॉड्यूल जेटीशन मोटर तक स्टैकिंग पूरी।
भारत का मानवीय अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल गगनयान तक सीमित नहीं रहेगा। 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station – BAS) की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय मिशन भेजने का विजन तैयार कर लिया गया है।
- BAS के लिए 5 मॉड्यूल स्थापित करने की योजना है, जिनमें से पहले मॉड्यूल के विकास को मंजूरी मिल चुकी है।
- चंद्रमा मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल और ऑर्बिटल मॉड्यूल की रूपरेखा पर काम शुरू।
- गगनयान के तहत क्रू ट्रेनिंग के साथ-साथ चंद्रमा मिशन की आवश्यकताओं के अनुसार इंक्रिमेंटल ट्रेनिंग भी जारी।
61 देशों के साथ अंतरिक्ष सहयोग समझौते
भारत ने 61 देशों और 5 बहुपक्षीय संगठनों के साथ अंतरिक्ष सहयोग समझौते किए हैं। सहयोग के प्रमुख क्षेत्र हैं:
- सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग
- सैटेलाइट नेविगेशन
- सैटेलाइट संचार
- अंतरिक्ष विज्ञान
- ग्रहों की खोज
- क्षमता निर्माण
कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर साथ-साथ काम
- NISAR: NASA के साथ मिलकर विकसित हो रहा संयुक्त रडार सैटेलाइट मिशन, अंतिम चरण में।
- TRISHNA: फ्रांस की CNES के साथ हाई-रेज़ोलूशन थर्मल इमेजिंग मिशन, प्रारंभिक चरण में।
- JAXA के साथ चंद्र ध्रुव मिशन पर संयुक्त अध्ययन पूरा।
- NASA और Axiom Space के साथ भारतीय अंतरिक्ष यात्री को ISS भेजने पर सहयोग।
अब स्पेस सेक्टर में निजी क्षेत्र
भारत सरकार ने स्पेस सेक्टर को उदार बनाया है ताकि निजी संस्थाएं (NGEs) अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग ले सकें।
- IN-SPACe की स्थापना: प्रमोट, एनेबल, ऑथराइज़ और सुपरवाइज़ करना।
- Indian Space Policy 2023 लागू, साथ ही FDI नीति, NGP दिशानिर्देश।
- वित्तीय योजनाएं: टेक्नोलॉजी फंड, वेंचर कैपिटल फंड, बीज फंड योजना, मूल्य समर्थन।
- 79 एमओयू और 77 अनुमतियाँ जारी की गईं (31 मार्च 2025 तक)।
- 2 सफल सब-ऑर्बिटल उड़ानें (नवंबर 2022 और मई 2024 में) निजी स्टार्टअप्स द्वारा।
- 6 निजी संस्थाओं द्वारा 14 उपग्रहों का प्रक्षेपण।
सरकार द्वारा 9 अक्टूबर 2024 को गगनयान फॉलो-ऑन मिशनों के लिए स्वीकृति दी गई। इसमें शामिल हैं:
- गगनयान मिशन: तीन अनक्रूड और एक क्रूड मिशन
- BAS प्रीकर्सर मिशन:
- एक क्रूड मिशन
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) डॉकिंग मिशन
- BAS-1 मिशन
- BAS-1 डॉकिंग मिशन
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब एक विकसित अंतरिक्ष राष्ट्र की दिशा में बढ़ चुका है। गगनयान के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत के लिए अंतरिक्ष में दीर्घकालिक उपस्थिति की नींव मजबूत होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेतृत्व में भारत जल्द ही अपना अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर मानव मिशन भी साकार कर सकता है।
In Parliament: इनकम टैक्स बिल 2025 पर संसदीय समिति ने सौंपी रिपोर्ट, आम लोगों को राहत देने की सिफारिश
India-Pakistan tension पर Parliamentary Standing Committee को जानकारी देंगे विदेश सचिव विक्रम मिस्री
First Published : July 23, 2025 | 4:50 PM IST