प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत में विनिर्मित पहली ग्राफिक्स प्रॉसेसिंग यूनिट (जीपीयू) इस साल के अंत तक तकनीकी प्रदर्शन के लिए तैयार हो जाएगी। कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार के तकनीकी प्रदर्शन से सरकार को देसी जीपीयू की तैयारी और व्यावसायिक व्यवहार्यता का पता लगाने में भी मदद मिलेगी। भारत में विनिर्मित जीपीयू के 2029 तक उत्पादन के लिए तैयार होने की उम्मीद है।
तकनीकी प्रदर्शन का उद्देश्य ग्राफिक्स को लोड करने एवं रेंडरिंग जैसे नियमित कार्यों के अलावा जीपीयू की अन्य क्षमताओं को दर्शाना है। इसमें जटिल गणितीय गणनाओं एवं समीकरणों, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के उपयोग से डेटा की समानांतर प्रॉसेसिंग, एडवांस्ड मशीन लर्निंग और वैज्ञानिक सिमुलेशन जैसे उच्च प्रदर्शन वाले कार्यों के लिए प्रॉसेसर की सीमाओं को बढ़ाना शामिल है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस साल के अंत में इन जीपीयू की आवश्यक कार्यक्षमता के आधार पर वैश्विक चिप विनिर्माताओं एवं डिजाइनरों से संपर्क कर सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘हम 2030 तक विस्तार के लिए तैयार होंगे। तब तक हमारे भारत में बने चिप भी बाजार में आ जाएंगे। उसके बाद यह प्रक्रिया आसान हो जाएगी।’
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केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मार्च में कहा था कि सरकार अगले 3 से 4 वर्षों में स्वदेशी जीपीयू विकसित करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा था, ‘हम अपने चिपसेट विकसित करने के लिए विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं।’
भारत में 10,372 करोड़ रुपये के इंडिया एआई मिशन के तहत जीपीयू को विकसित किया जा रहा है। देसी जीपीयू के लिए 10,000 जीपीयू के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 10 कंपनियों से 18,693 जीपीयू के लिए बोलियां मिल चुकी हैं। सूत्रों ने कहा कि दूसरे दौर में कई वैश्विक कंपनियों ने अपने भारतीय साझेदारों के जरिये 15,000 से 18,000 जीपीयू खरीदने की पेशकश की है। पहले दौर की बोली के बाद इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन उम्दा कंप्यूटिंग प्रॉसेसर की खरीद एवं आपूर्ति के लिए बोली लगाने की इच्छुक कंपनियों के लिए एक पैनल प्रक्रिया शुरू की है। अब हर तिमाही में नए बोलीदाताओं को पैनल में शामिल किया जाता है।
सरकार ने पहले दौर में 10 कंपनियों का पैनल बनाकर 18,693 जीपीयू की खरीद एवं आपूर्ति की योजना बनाई थी। इनमें 12,896 एनविडिया एच100 जीपीयू, 1,480 एनविडिया एच200 जीपीयू, एमआई325 और एमआई300एक्स जीपीयू शामिल थे।
जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्युनिकेशंस और योट्टा डेटा सर्विसेज (हीरानंदानी समूह की कंपनी) जैसी कंपनियों ने पहले दौर में स्टार्टअप, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं एवं अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए जीपीयू की खरीद एवं आपूर्ति के लिए पात्रता हासिल की थी। सीएमएस कंप्यूटर्स इंडिया, कंट्रोल्स डेटासेंटर, ई2ई नेटवर्क्स और लोकुज एंटरप्राइज सॉल्यूशंस जैसी अन्य कंपनियों को पहले दौर में आईटी मंत्रालय द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया है। 10 कंपनियों द्वारा लगाई गई बोलियों के आधार पर प्रति एआई कंप्यूट यूनिट की औसत दर निम्नस्तरीय जीपीयू के लिए 115.85 रुपये प्रति जीपीयू घंटा और उच्चस्तरीय कंप्यूट प्रॉसेसिंग यूनिट के लिए 150 रुपये प्रति घंटा तय की गई है। इसके लिए वैश्विक बेंचमार्क 2.5 से 3 डॉलर प्रति जीपीयू घंटा है।
सरकार ने जीपीयू का उपयोग करने के इच्छुक स्टार्टअप, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, शैक्षणिक संस्थानों और छात्रों के लिए बाजार दर से 40 फीसदी छूट देने की भी योजना बनाई है। अधिकारी ने कहा कि सरकार उन उपयोगकर्ताओं को अतिरिक्त छूट भी दे सकती है जो छह महीने या एक साल अथवा उससे अधिक समय के लिए करार करते हैं। उन्होंने कहा कि यह छूट अगले चार वर्षों तक दी जाएगी। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि अमेरिका द्वारा निर्धारित 50,000 जीपीयू कंप्यूटर सीमा की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए सरकार इस बाधा को हटाने के लिए काम कर रही है।