प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कहा कि देश को स्थानीय भाषा, संस्कृति, परिस्थिति और सामाजिक मानदंडों पर प्रशिक्षित आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल तैयार करने चाहिए। नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सम्मेलन 2025 में उन्होंने कहा, ‘हमने एआई मॉडल तैयार करना शुरू कर दिया है। पहला मॉडल सर्वम् द्वारा विकसित किया जा रहा है। तीन या चार ऐप्लिकेशन मंजूरी के आखिरी चरणों में हैं और हम सामान्य डेटासेट भी तैयार कर रहे हैं।’
वैष्णव ने कहा कि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग में हुई प्रगति की तरह एआई भी समाज और उद्योग में जबरदस्त बदलाव लाएगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वैसा बदलाव आने जा रहा है। हम किसी भी उद्योग या क्षेत्र में हों, हमें उस बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए।’
डिजिटल सार्वजनिक ढांचे से जुड़े तमाम टूल्स और सेवाओं को भारत और दुनिया में जो सफलता मिली है, उसकी वजह सरकार का यह भरोसा है कि तकनीक को कुछ लोगों के हाथ में नहीं रहने देना चाहिए बल्कि सभी को उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई के मामले में भी वही नजरिया अपनाया जा रहा है।
सभी को हाई-एंड कंप्यूट सुलभ कराने के लिए सरकार ने इंडिया एआई मिशन के तहत 10,000 ग्राफिक्स प्रॉसेसिंग यूनिट (जीपीयू) उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था। मगर बोली के पहले दौर में उसे 18,000 से अधिक जीपीयू के लिए बोलियां मिल गईं। उन्होंने कहा कि कंपनियों ने बोली के दूसरे दौर में करीब 14,000 जीपीयू खरीदने के लिए बोलियां लगाई हैं।
इंडिया एआई मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च 2024 में मंजूरी दी थी और इसके लिए 10,738 करोड़ रुपये का बजट तय किया था। इंडिया एआई कंप्यूट पोर्टल के जरिये स्टार्टअप, ऐप्लिकेशन डेवलपर्स, शोधकर्ता और छात्र इन जीपीयू एवं एआई क्लाउड सेवाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस्तेमाल करने वालों को कई प्रकार के हाई-एंड जीपीयू मिलेंगे, जिससे देश में एआई शोध तथा नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 28 से 90 नैनोमीटर तक के मेड इन इंडिया चिप्स का उत्पादन इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘कई लोगों ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण में होड़ करने के लिए हमारी आलोचना की। हमने उस श्रेणी पर निशाना साधकर काम किया, जिसमें 60 प्रतिशत बाजार है। आज हमारे यहां छह इकाइयां बन रही हैं।’