अपने इंडिया इन्वेस्टमेंट बैंकिंग रिव्यू 2021 में रेफिनिटिव ने कहा है कि भारतीय इक्विटी पूंजी बाजारों (ईसीएम) ने वर्ष 2021 में 35.6 अरब डॉलर की रकम जुटाई, जो 2020 के मुकाबले 4.3 प्रतिशत कम है। हालांकि ईसीएम पेशकशों की संख्या में 73.6 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि ईसीएम सौदों के जरिये कुल कोष उगाही में गिरावट आई, क्योंकि ये सौदे छोटी वैल्यू में कि गए थे। निवेश बैंकिंग गतिविधियां 2021 में 1.1 अरब डॉलर की रहीं, जो पिछले साल के मुकाबले 8.5 प्रतिशत की वृद्घि है, जिसके साथ ही वर्ष 2000 में शुरू हुए रिकॉर्ड के बाद से यह सालाना अवधि के लिहाज से सर्वाधिक है। फॉलो-ऑन पेशकशों (जिनका भारत की कुल ईसीएम रकम में 52 प्रतिशत का योगदान रहा) के जरिये 2021 में 18.6 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई गई, जो एक साल पहले के आंकडे से 42.8 प्रतिशत कम है। हालांकि, बड़ी तादाद में फॉलो-ऑन पेशकशें सालाना आधार पर 21.4 प्रतिशत बढ़ीं। आईपीओ 2021 में 16.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उगाही स्तर पर रहे, जो पिछले साल के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। आईपीओ की संख्या भी सालाना आधार पर 172.7 प्रतिशत बढ़ी। तीन-चौथाई आईपीओ प्राप्तियां 2021 की दूसरी छमाही के दौरान दर्ज की गईं, जब 12.5 अरब डॉलर के 81 आईपीओ आए। चौथी तिमाही में आईपीओ प्राप्ति 7.4 अरब डॉलर पर रही, जो सर्वाधिक तिमाही स्तर है। तीसरी तिमाही में आईपीओ रकम 5.1 अरब डॉलर पर रही। वन 97 कम्युनिकेशंस 2.46 अरब डॉलर की कोष उगाही के साथ भारत का सबसे बड़ा आईपीओ था।भारत के वित्त क्षेत्र से ईसीएम निर्गमों का योगदान कुल ईसीएम गतिविधि में महत्वपूर्ण रहा और 11 अरब डॉलर मूल्य के साथ इसकी 30.9 प्रतिशत बाजार भागीदारी रही। दूरसंचार क्षेत्र की प्राप्तियों में 46.5 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई। इसमें 17.4 प्रतिशत बाजार भागीदारी हासिल की, जिसके बाद 11.9 प्रतिशत बाजार भागीदारी के साथ मैटेरियल्स क्षेत्र का भारत की ईसीएम गतिविधि में दबदबा रहा। आईसीआईसीआई बैंक मौजूदा समय में संबंधित प्राप्तियों में 3.9 अरब डॉलर के साथ भारत की ईसीएम अंडरराइटिंग के लिए रैंकिंग में बढ़त बनाए हुए। जेपीमॉर्गन और ऐक्सिस बैंक ने 10.5 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत की बाजार भागीदारी हासिल की। वर्ष के लिए ईसीएम अंडरराइटिंग 43.38 करोड़ डॉलर रही, जो 2020 से 49.7 प्रतिशत की वृद्घि है। डेट कैपिटल मार्केट (डीसीए) अंडरराइटिंग शुल्क 16.48 करोड़ डॉलर रहा जो एक साल पहले के मुकाबले 24.4 प्रतिशत कम है और 2018 से सबसे कम है।
