नए साल में सुधरेगी अर्थव्यवस्था | बीएस संवाददाता / मुंबई/नई दिल्ली/चेन्नई/कोलकाता/अहमदाबाद December 31, 2021 | | | | |
शीर्ष भारतीय कंपनियों के ज्यादातर मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) का अनुमान है कि नए साल में अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आएगा। उन्होंने क्षमता बढ़ाने और नियुक्तियां तेज करने की भी योजना बनाई है। दिसंबर में 40 सीईओ का सर्वेक्षण किया गया, जो दर्शाता है कि कंपनियां वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में उछाल आने की उम्मीद कर रही हैं। पोल में शामिल 90 फीसदी सीईओ का अनुमान है कि उपभोक्ता खर्च, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में वर्ष 2022 में बढ़ेगा। वर्ष 2021 में कारों और दोपहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट रही।
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी उम्मीद जताते हुए 53 फीसदी सीईओ ने कहा कि यह 8.5 फीसदी से अधिक बढ़ेगी, जबकि 30 फीसदी का मानना है कि इसमें उस स्तर की वृद्धि नहीं होगी। शेष ने कोई अनुमान नहीं जताया।
निर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एलऐंडटी के कार्यकारी चेयरमैन एएम नाइक ने कहा, 'हर कोई 8.5 और 9.5 फीसदी जीडीपी वृद्धि की बात करता है। लेकिन मेरा मानना है कि वास्तविक मापदंड के हिसाब से 7 से 7.5 फीसदी से अधिक नहीं रहेगी।' नाइक ने कहा, 'जीडीपी 8 फीसदी वृद्धि दिखा सकता है क्योंकि कोविड-19 की वजह से आधार घट गया था। लेकिन वास्तविक वृद्धि महज 3.5 या 4 फीसदी है। जब कोविड से पहले के जीडीपी के स्तर में वृद्धि होगी, तब वह वास्तविक वृद्धि होगी।'
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था की उजली तस्वीर पेश की थी। इसने कहा कि 2020-21 की पहली तिमाही में बड़े संकुचन के बाद यह उस स्थिति में आ गई है, जिसमें 2021-22 की पहली तिमाही में देश का जीडीपी 13.7 फीसदी बढ़ा है।
ज्यादातर सीईओ ने अर्थव्यवस्था के सकारात्मक परिदृश्य का अनुमान जताया। उनमें से 83 फीसदी ने कहा कि उन्होंने नए साल में नई नियुक्तियां करने की योजना बनाई है। करीब 88 फीसदी ने भी कहा कि उन्होंने 2021 में कर्मचारियों की कोई छंटनी नहीं की। सीईओ ने कहा कि हालांकि श्रमबल की मांग अभी महामारी से पहले के स्तर पर नहीं पहुंची है। लेकिन 2021 में तिमाही दर तिमाही बढ़ोतरी से पता चलता है कि कंपनियां, खास तौर पर खुदरा बिक्री एवं इन्फोटेक जैसे क्षेत्रों की कंपनियां नियुक्तियां जारी रखेंगी।
महामारी कम होने से वर्क फ्रॉम होम आवश्यक नहीं होगा। 88 फीसदी सीईओ का मानना है कि कर्मचारी नए साल में कार्यालयों में आएंगे। हालांकि कोरोनावायरस के ओमीक्रोन स्वरूप से कुछ सप्ताह से इन योजनाओं में कुछ सप्ताह की देरी हो सकती है। करीब 73 फीसदी सीईओ ने कहा कि वे भारत सरकार द्वारा महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से संतुष्ट हैं। वहीं 65 फीसदी ने अनुमान जताया कि आरबीआई 2022 में ब्याज दरों में और कमी करेगा ताकि कंपनियों को कर्ज की लागत घटने और नई इकाइयों में निवेेश करने में मदद मिल सके।
ज्यादातर सीईओ का ग्रामीण भारत को लेकर सकारात्मक रुख है। उनमें से 65 फीसदी का कहना है कि नए वर्ष में ग्रामीण क्षेत्र वृद्धि में अहम योगदान देंगे। इससे दोपहिया और ट्रैक्टर विनिर्माताओं की उम्मीद बढ़ेगी। वाहन क्षेत्र के बहुत से सीईओ ने कहा कि भारत को मांग बढ़ाने की खातिर निर्यात और आयात के अवरोध हटाने के लिए व्यापार समझौतों पर ध्यान देना चाहिए और वाहनों पर जीएसटी कर प्रणाली की समीक्षा करनी चाहिए। हालांकि कुछ चिंताएं भी हैं। 65 फीसदी सीईओ ने कहा कि कंपनियों के लिए बढ़ती लागत सबसे बड़ी मुश्किल रहेगी। राजस्व और लाभ को लेकर 18 फीसदी सीईओ ने कहा कि वे पहले ही महामारी के स्तरों को पार कर चुके हैं।
वहीं 25 फीसदी का अनुमान है कि वे दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही में महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएंगे। वहीं शेष का अनुमान है कि उनका उत्पादन और लाभ 2022 की पहली तीन तिमाहियों में महामारी के स्तरों पर पहुंच जाएगा।
रोचक बात यह है कि कैलेंडर वर्ष 2021 में बीएसई सेंसेक्स में 20 फीसदी बढ़ोतरी के बावजूद 80 फीसदी सीईओ का मानना है कि सेंसेक्स अगले साल के अंत तक सेंसेक्स 75,000 से नीचे रहेगा, जबकि 15 फीसदी को इसके 75,000 के पार निकलने की उम्मीद है। अगले साल के आखिर तक डॉलर के मुकाबले रुपये के 77 के पार निकलने पर सीईओ की राय बराबर बंटी रही।
महामारी के सबसे बड़े सबकों के बारे में पूछे जाने पर सीईओ ने कहा कि अब कर्मचारियों की सहानुभूति एवं सेहत सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। वे भविष्य के अपने सभी कारोबारी फैसलों में ताजा तकनीक को अपनाएंगे।
सीईओ ने कहा कि 1 फरवरी को घोषित होने वाले केंद्रीय बजट से उद्योग जगत को मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद विश्व स्तरीय स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विकास अच्छी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अहम है।
सीईओ ने कहा कि सुधार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ाने की खातिर अधिक आवंटन और प्रोत्साहन जरूरी हैं। ज्यादातर सीईओ ने कहा कि वे जलवायु परिवर्तन से संबंधित जोखिमों के कारण अगले कुछ वर्षों में शुद्ध शून्य उत्सर्जन संगठन बनने के लिए कदम उठा रहे हैं।
(साथ में देव चटर्जी, शैली सेठ मोहिले, ईशिता आयान दत्त, शर्लिन डिसूजा, अदिति दिवेकर, शाइन जैकब, अनीश फडणीस, सोहिनी दास, चिराग मडिया, शिवानी शिंदे, पीरजादा अबरार और अभिजित लेले)
|