शुक्रवार को धातु कंपनियों के शेयरों पर दबाव देखा गया। बीएसई मेटल सूचकांक में 6.9 प्रतिशत और निफ्टी मेटल सूचकांक में 6.43 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। सेक्टोरल सूचकांकों शामिल इन दो सूचकांकों में बड़ी गिरावट आई। चीन में इस्पात उत्पादन से जुड़ी चिंताओं, वैश्विक वृद्घि की रफ्तार पर दबाव और अमेरिकी रियायत में कमी किए जाने की खबरों से निवेशकों ने मुनाफावसूली की। रुपये में गिरावट से भी चिंताओं को बल मिला। रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे की कमजोरी आई। दिन के कारोबार में इक्विटी सूचकांक भी लगातार दूसरे सत्र में नीचे बना रहा, जिससे वैश्विक बिकवाली का पता चलता है, क्योंकि डेल्टा वायरस के बढ़ते मामलों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अनुमान से पहले रियायतें वापस लिए जाने से जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों से निकासी की आशंका बढ़ी है।बीएसई का सेंसेक्स 300.17 अंक या 0.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 55,329.32 पर बंद हुआ, वहीं एनएसई का निफ्टी 118.35 अंक या 0.71 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 16,450.50 पर बंद हुआ। एनएसई पर धातु शेयरों में, एनएमडीसी 9.94 प्रतिशत तक गिरा, जिसके बाद वेदांत 9.89 प्रतिशत, टाटा स्टील 8.85 प्रतिशत, भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल), जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल), और जेएसडब्ल्यू स्टील में भी 7 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'हालांकि बिकवाली व्यापक थी, लेकिन धातु शेयरों पर ज्यादा दबाव पड़ा। पूरी दुनिया में लौह अयस्क वायदा में भारी गिरावट की वजह से इन शेयरों पर दबाव बढ़ गया।' हालांकि शुक्रवार को धातु शेयरों में भारी गिरावट के बावजूद, टाटा स्टील का बाजार भाव अभी भी पिछले एक साल के संदर्भ में 225 प्रतिशत तक चढ़ा है। सेल, जेएसडब्ल्यू स्टील, वेदांत और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 106 प्रतिशत और 191 प्रतिशत के बीच तेजी आई। तुलनात्मक तौर पर, समान अवधि के दौरान सेंसेक्स में 45 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'लौह अयस्क के लिए इस इस सप्ताह गिरावट बढ़ गई और वायदा 12 प्रतिशत गिरकर सिंगापुर में दिसंबर के बाद सबसे निचले स्तर पर रहा। चीन में इस्पात उत्पादन और खपत में शेष वर्ष में कमजोरी आने की चिंताओं से इस धातु के लिए वायदा कीमत नीचे आई है। कीमतें तीन महीने पहले के ऊंचे स्तर से 40 प्रतिशत नीचे हैं।'एडलवाइस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने ब्याज दर में वृद्घि, अमेरिका में रियायतों में नरमी, और मुद्रास्फीति से जुड़ी चिंताओं को धातु एवं खनन क्षेत्र के लिए मुख्य वृहद जोखिम बताया है। विश्लेषकों का कहना है कि इसके अलावा, चीन में नीतिगत अनिश्चितता भी मुख्य समस्या बनी हुई है, क्योंकि उत्पादन कटौती को लेकर ताजा बयानों से भी बाजार की चिंता बढ़ी है। ब्रोकरेज फर्म ने इस सेक्टर पर एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, 'हमें विश्वास है कि नीतियां रातोंरात नहीं बदली जा सकतीं। हम कार्बन उपस्थिति घटाने के लिए चीन के दीर्घावधि लक्ष्य पर आशान्वित हैं। हम कोविड-19 की अन्य लहर से भी आपूर्ति शृंखला और मांग प्रभावित होने की आशंका देख रहे हैं।'
