आज कल हर कोई पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से बेहद परेशान है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए इसमें कमी की उम्मीद तो छोड़िए, उल्टे और इजाफे का डर लोगों को सता रहा है।
इससे सबसे ज्यादा परेशान हैं कारों के मालिक। लेकिन अब ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब अपने देश में भी हाईब्रिड कारें आ चुकी हैं। होंडा ने अपनी सिविक कार का मॉडल तो अपने देश में भी लॉन्च कर दिया है, जबकि टाटा और महिंद्रा एंड महिंद्रा हाईब्रिड कारों को लॉन्च करने की जुगत में हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हाईब्रिड कारें होती क्या हैं? ये हैं नए जमाने की कारें, जो आपके लिए राहत का सबब बनकर आई है। इसमें बैटरी और पेट्रोल, दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया भर में ऐसी कारों की धूम मची हुई है। तो आइए आपको रूबरू करवाते हैं नए जमाने के इन कारों से।
हाईब्रिड कारें, बोले तो!
ऑटो एक्सपर्ट रनोजॉय मुखर्जी का कहना है कि, ‘हाईब्रिड कारें उन कारों को कहते हैं, जिनमें पेट्रोल और इलेक्ट्रिक, दोनों तरह के इंजनों का इस्तेमाल किया जाता है।’ पेट्रोल या डीजल से चलने वाली गाड़ियों में एक फ्यूल टैंक होता है, जो इंजन तक ईंधन को पहुंचाता है। फिर उस ईंधन को जलाने से ऊर्जा पैदा होती है, जिससे कार के पहिए घूमते हैं। लेकिन इन पूरी प्रक्रिया में काफी प्रदूषण फैलता है।
दूसरी तरफ, बैटरी से चलने वाली कारों में फ्यूल टैंक के बजाए बैटरियों का सेट होता है। इन्ही बैटरियों से कार में मौजूद इलेक्ट्रिक मोटर को ताकत मिलती है, जो कार को आगे बढ़ाता है। इनसे प्रदूषण तो नहीं होता, लेकिन इन कारों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इनकी बैटरियों को हर 70-80 मील के बाद रीचार्ज करना पड़ता है। असल में, हाईब्रिड कार में इन दोनों तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें दोनों की खामियां भी नहीं होती हैं।
हाईब्रिड कारें दो तरह की तकनीकों पर काम करती हैं। पहली तकनीक है पैरेलल हाईब्रिड। इसमें कार की चाभी घुमाने पर पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर काम करना शुरू कर देते हैं। इन दोनों की मिली-जुली ताकत का इस्तेमाल कार को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं, सीरिज हाईब्रिड कार में पेट्रोल या डीजल इंजन पहले बैटरी को चार्ज करता है, फिर उससे कार चलती है।
हाईब्रिड कारों के फायदे
इस तरह की कारों के बड़े-बड़े फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे पर्यावरण को साफ सुथरा रखने में काफी मदद मिलती है। मुखर्जी का कहना है कि, ‘आमतौर पर कारों में सबसे ज्यादा ताकत तो खड़ी कार को स्टार्ट करके आगे बढ़ाने में होता है। इसमें तेल भी काफी खर्च होता है। हाईब्रिड कारों में होता यह है कि खड़ी गाड़ी का आगे बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक और पेट्रोल इंजन का भी इस्तेमाल होता है। इससे काफी हद तक तेल की बचत होती है।
साथ ही, इस कार का एक बड़ा फायदा यह है कि यह काफी फ्यूल इफिशिएंट कार है। इसका मतलब यह है कि यह कार काफी अच्छी माइलेज मुहैया कराएगी।’ होंडा के कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस के रवि शर्मा का कहना है कि,’देखिए आने वाले कल में तेल की एक-एक बूंद भी काफी कीमती हो जाएगी। होंडा सीविक हाईब्रिड या ऐसे दूसरी कारें कल को काफी अहम हो जाएंगी। वजह यह है कि होंडा सीविक हाईब्रिड आम कारों के मुकाबले कम से 47 फीसदी तेल की बचत करती है।’
तस्वीर का दूसरा पहलू
हाईब्रिड कारों के मामले में तस्वीर का दूसरा पहलू इतना अच्छा नहीं है। विश्लेषकों की मानें तो इस कार में जितनी खूबियां हैं, उतनी इसमें खामियां भी हैं। कई ऑटो एक्सपट्र्स की मानें तो इस कार की सबसे बड़ी खामी तो यही है कि यह काफी महंगी है। मुखर्जी का कहना है कि, ‘पेट्रोल पर चलने वाली एक होंडा सीविक कार की कीमत आमतौर पर 10 से 11 लाख रुपये के बीच में होती है। वहीं, हाईब्रिड सीविक की एक्सरूम कीमत दिल्ली में ही करीब 22 लाख रुपये हैं।
इसके ऊपर से टैक्स और डयूटी अलग से लगेगी। इसलिए यह कार तो काफी कीमती होगी।’ कई ऑटो एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि यह एकदम नई तकनीक होगी, इसलिए अगर यह खराब हो गईं तो आप इन्हें पड़ोस के गैराज में रिपेयर नहीं करवा पाएंगे। यानी इसकी मेंटनेंस पर अच्छा खासा खर्च आएगा। साथ ही, इसके कल-पुर्जे पर आने वाला खर्च भी आपकी जेब को कुछ ज्यादा ही ठंडा कर जाएगा।
हालांकि, मुखर्जी का कहना है कि, ‘जहां तक सिविक हाईब्रिड की बात है तो आमतौर पर जापानी कारें जल्दी खराब होतीं। उनके रख-रखाव ज्यादा खर्च भी नहीं होता। और अगर खराब हो भी गईं तो 24-25 लाख रुपये की कार रखने वालों के लिए रिपेयर का खर्च कोई मायने नहीं रखेगा।’ हाईब्रिड कारों के बारे में एक और शिकायत आती है कि इनकी पिक-अप आम कारों के मुकाबले बहुत ही कम होती है।
भारत में है तैयारी
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आज आम तो क्या, खास घरों का बजट भी गड़बड़ा दिया है। साथ में, देश में प्रदूषण का राक्षस भी दिनोदिन अपने पांव फैला रहा है। ऐसे में अपने मुल्क में हाईब्रिड कारों का बाजार अच्छा खासा दिखाई दे रहा है। दुनिया भर में हाईब्रिड कारों की काफी धूम मची है। मिसाल के तौर पर मुल्क में आने वाली पहली हाईब्रिड कार होंडा सिविक को ही ले लीजिए। इसकी तो अमेरिकी और यूरोपियन कार बाजारों में काफी डिमांड है।
1999 में विकसित हुई इस कार के अब तक कम से कम 2.60 लाख यूनिट्स बिक चुके हैं। होंडा को उम्मीद है कि वह यहां भी कई दिलों को जीत लेगी। वैसे अभी यह कार जापान से आयात की जा रही है, इसलिए इस पर 104 फीसदी की अच्छी-खासी डयूटी लग रही है। लेकिन होंडा को उम्मीद है कि आने वाले वक्त में सरकार इस मामले में जरूर ध्यान देगी और डयूटी कम करेगी।
हालांकि, देश में हाईब्रिड कारों बनाने को सरकार बढ़ावा दे रही है। इसके लिए वह इस काम में लगी कंपनियों को डयूटी में छूट दे रही हैं। इस वक्त टाटा और महिंद्रा भी ऐसी कार विकसित करने में जुटी हुई हैं। सूत्रों की मानें तो अगले दो-तीन सालों में उनकी भी हाईब्रिड कारें बाजार में आ जाएंगी, जिनकी कीमत अपने असल मॉडल से केवल 50 हजार या एक लाख रुपये ज्यादा होगी।