पिछले  कुछ हफ्तों से मनीष माहेश्वरी की दिनचर्या काफी व्यस्त रही है। इसकी वजह  यह है कि पुलिस के पास दर्ज कम से कम तीन शिकायतों में भारत में ट्विटर के  प्रबंध निदेशक माहेश्वरी का नाम आया है। ये शिकायतें ट्विटर द्वारा भारत का  गलत नक्शा दिखाने से लेकर कथित सांप्रदायिक हिंसा का वीडियो प्रसारित करने  आदि से जुड़ी हैं। एक शिकायत के बाद तो मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच  गया।
आम तौर पर मीडिया से  दूर रहने वाले माहेश्वरी आखिर इन जटिल परिस्थितियों में कैसे फंस गए? इनमें  ज्यादातर मामले भारत के नए आईटी नियमों का अनुपालन नहीं करने से संबंधित  हैं। इसी वर्ष जनवरी में सरकार और ट्विटर के बीच उस समय तनातनी बढ़ गई थी  जब सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े कुछ ट्वीट हटाने के लिए  कहा था। ट्विटर ने सरकार के इस फरमान का विरोध किया था। अब नए आईटी नियमों  का अनुपालन नहीं करने के बाद माहेश्वरी का नाम कई शिकायतों (प्राथमिकी) में  आया है।
दिल्ली पुलिस ने मई  में एक अन्य मामले में माहेश्वरी को नोटिस भेजा था। यह मामला भारतीय जनता  पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं के ट्वीट को भ्रामक बताने के ट्विटर के  निर्णय से जुड़ा था। इस नोटिस के जवाब में माहेश्वरी ने कहा था कि उन्हें  ट्विटर कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड (टीसीआईपीएल) ने नियुक्त किया है न  कि ट्विटर इंक ने, इसलिए इस मामले में वह पुलिस की कोई मदद नहीं कर सकते  हैं।
पुलिस प्रशासन उनके इस  जवाब से संतुष्ट नहीं था लेकिन ज्यादातर तकनीकी कंपनियों का ढांचा कुछ ऐसा  ही है। माहेश्वरी और भारत में अन्य कर्मचारियों की भूमिका ट्विटर के  प्रचार-प्रसार एंव विपणन तक ही समित है और इस पर प्रकाशित सामग्री  नियंत्रित करना उनकी जवाबदेही नहीं है।
ट्विटर  इंडिया में माहेश्वरी की भूमिका की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा,  ‘उन पर भारत में ट्विटर के कारोबारी एवं बिक्री लक्ष्यों को पूरा करने की  जिम्मेदारी है।’ माहेश्वरी के साथ काम कर चुके लोगों का कहना है कि उन तक  आसानी से पहुंचा जा सकता है। उनके अनुसार माहेश्वरी में तकनीक को लेकर खासा  उत्साह है। वह मानते हैं कि तकनीक में बदलाव लाने की ताकत होती है।
माहेश्वरी  राजस्थान के एक छोटे शहर में पले-बढ़े थे जहां तकनीक एवं संपर्क सूत्र  अधिक नहीं थे। इस वजह से वह तकनीक की ओर आकर्षित हुए और इसकी दुनिया में  कदम रख दिया। उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पढ़ाई की और  उसके बाद द व्हार्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री हासिल की। लिंंक्डइन पर उनकी  कुछ उपलब्धियों का जिक्र है। इसके अनुसार वह  सीबीएसई की 10वीं और 12वीं  कक्षा में गणित में 100 में 100 अंक लाने का कमाल कर चुके हैं।  माहेश्वरी  का लगाव केवल गणित से ही नहीं है। माहेश्वरी के साथ काम करने वाले एक  व्यक्ति ने कहा, ‘उन्हें बॉलीवुड से भी खासा लगााव है। वह क्रिकेट में  दिचलस्पी रखते हैं और क्रिकेट मैच के दौरान ताजा स्कोर जानने के लिए आप  ट्विटर पर उनका अकाउंट फॉलो कर सकते हैं।’
जहां  तक उनके पेशेवर जीवन की बात है तो वह कई उद्योगों एवं ब्रांड के साथ काम  कर चुके हैं। ट्विटर के साथ जुडऩे से पहले उन्होंने प्रॉक्टर ऐंड गैंबल  (पीऐंडजी) और मैकिंजी ऐंड कंपनी के साथ भी काम किया था। उन्होंने मोबाइल  टेक्नोलॉजी स्टार्टअप टीएक्सटीवेब की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई थी।
टीएक्सटीवेब  के साथ माहेश्वरी ने सभी लोगों तक तकनीक पहुंचाने की अपनी इच्छा को आगे  बढ़ाया। 2014 में टीएक्सटीवेब के संबंध में एक खबर में कहा गया था, ‘इस  प्लेटफॉर्म से किशारों को गणित सीखने, जिज्ञासु व्यक्तियों को भी  जानकारियां हासिल करने में आसानी हो रही है। खेलों में दिलचस्पी रखने वाले  लोग इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल स्कोर जानने के लिए भी कर रहे हैं।’
माहेश्वरी  इनट्युट के सह-संस्थापक स्कॉक कुक के करीबी थे। कुक ने माहेश्वरी को  टीएक्सटीवेब तैयार कर ने की जिम्मेदारी सौंपी थी। वर्ष 2015 में माहेश्वरी  फ्लिपकार्ट से जुड़ गए और वहां उपाध्यक्ष बनाए गए। उसके बाद वह नेटवर्क 18  डिजिटल के सीईओ बन गए और 2019 में वह ट्विटर आए।
ट्विटर  में उनके साथ काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘मनीष भारत को एक बड़ी  संभावनाओं वाले देश के तौर पर देखते हैं। फ्लिपकार्ट और इनट्युट में  उन्होंने काम कर खासा तजुर्बा हासिल किया है और इस वजह से उन्हें तकनीक एवं  कारोबार के जुड़ाव के एक विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है।’
उनके  एक सहकर्मी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दोनों लहरों में माहेश्वरी ने  ट्विटर टीम के साथ पूरे उत्साह के साथ काम किया। अस्पताल में बिस्तर हासिल  करने से लेकर ऑक्सीजन प्राप्त करने में लोगों की मदद करने में उन्होंने  पूरी शिद्दत से काम किया। उन्होंने कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य  दुरुस्त रखने पर भी जोर दिया। माहेेश्वरी के साथ काम करने वाले लोगों का  कहना है कि वह जिज्ञासु हैं और बैठकों के दौरान सबसे अधिक प्रश्न करते हैं।  एक व्यक्ति ने कहा, ‘वह जानकारी एकत्र करने से कभी पीछे नहीं रहते हैं।  चुनौतियों के दौरान यह खूबी काफी कारगर होती है।’
इस  समय  पूरी दुनिया में इस बात पर बहस चल रही है कि सोशल मीडिया मंचों पर  प्रकाशित सामग्री के नियमन की जिम्मेदारी कर्मचारियों पर होनी चाहिए या  नहीं। कानून में इन कंपनियों को उपयोगकर्ताओं द्वारा डाली गई सामग्री की  जवाबदेही से मुक्त रखा गया है। भारत में ट्विटर का मामला बिल्कुल अलग है  क्योंकि यहां यह सीधे सरकार के साथ आमने-सामने है।