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बुरे दिन लद गए पर दबाव बढऩे की आशंका

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:36 PM IST

बैंकिंग क्षेत्र कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधान से अपेक्षाकृत सकुशल बाहर निकल चुका है लेकिन फिलहाल उसे सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि नियामकीय उपायों के खत्म होने पर प्रणाली पर दबाव बढ़ सकता है। भारत के कुछ शीर्ष बैंकरों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में यह बात कही। जिन्होंने पुनर्गठन का विकल्प चुना है उनके लिए यदि नकदी प्रवाह की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो प्रणाली में स्लीपेज (चूक) के मामले बढ़ सकते हैं। हालांकि बैंकरों ने कहा कि बैंकों का रुख काफी लचीला है और किसी भी संकट से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है।
ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने कहा, ‘यदि नकदी प्रवाह बहाल नहीं होता है तो आगे प्रणाली में आपको स्लीपेज के मामले दिखाई देंगे। लेकिन मैं समझता हूं कि बैंकिंग प्रणाली का रुख काफी लचीला है और किसी भी नए जोखिम से निपटने के लिए उसका बहीखाता मजबूत है और उसके पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है।’
आईडीबीआई बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राकेश शर्मा ने भी इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए कहा, ‘जब तक नकदी प्रवाह में सुधार नहीं होगा, तब तक पुनर्गठन का विकल्प चुनने वालों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना आसान नहीं होगा। इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए बैंकरों को सख्ती से निगरानी करनी चाहिए और सरकार को कुछ राजकोषीय उपायों को जारी रखना चाहिए ताकि उनके नकदी प्रवाह में सुधार हो सके। अन्यथा एनपीए में वृद्धि हो सकती है।’
बैंकर इस तथ्य से सहमत थे कि बुरे दिन अब लद चुके हैं और स्थिति में निश्चित तौर पर सुधार हो रहा है। उनका मानना था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार द्वारा किए गए उपायों ने निश्चित तौर पर संकट को कम करने में मदद की है अन्यथा स्थिति कहीं अधिक खराब होती।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राजकिरण राय ने कहा कि बैंकों ने परिसंपत्ति पोर्टफोलियो में जिस प्रकार का लचीलापन दिखाया है वह आश्चर्यजनक है। चीजें तेजी से सामान्य हो रही हैं, संग्रह में सुधार हुआ है और पोर्टफोलियो के रुख से लगता है कि स्थिति सामान्य हो गई है।
सिटीबैंक इंडिया के सीईओ आशु खुल्लर ने कहा, ‘आशावाद की भावना स्पष्ट है। इसका श्रेय आरबीआई और सरकार को जाता है क्योंकि उन्होंने मोहलत, पुनर्गठन, ईसीएलजी आदि के तौर पर जो मदद की है उससे पता चलता है कि जब आप लघु अवधि के नकदी संकट से जूझ रहे होते हैं तो कुछ योजनाएं वास्तव में काम करती हैं। अन्यथा हम कहीं अधिक खराब स्थिति में होते।’
आईडीएफसी फस्र्ट बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी वी वैद्यनाथन ने कहा, ‘बैंकिंग प्रणाली काफी सख्ती से जूझ रही है क्योंकि पिछले 10 वर्षों के दौरान इसने तमाम संकटों का सामना किया है और मुझे इससे काफी सुकून मिलता है। दूसरा, कोविड संकट के बावजूद दूसरी लहर के बाद संग्रह की स्थिति कोविड पूर्व स्तर से बेहतर है।’
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा, ‘हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आगे दिखने वाले खतरों से अच्छी तरह निपटा जा रहा है।’ जहां तक उधारी की मांग का सवाल है तो खुदरा मांग में जबरदस्त तेजी आई है लेकिन थोक श्रेणी में सुस्ती अब भी जारी है। कंपनियां रकम जुटाने के लिए अन्य उपायों पर विचार कर रही हैं। वे विशेष तौर पर बॉन्ड और विदेशी बाजार से रकम जुटाने की कोशिश कर रही हैं।

First Published : November 11, 2021 | 11:36 PM IST