RSS on Caste Census: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को जातिगत जनगणना का समर्थन करने के संकेत दिए। संघ का मानना है कि इस तरह के डेटा संग्रह समाज में पिछड़े समुदायों के कल्याण को सुनिश्चित करने का महत्त्वपूर्ण जरिया है लेकिन इस तरह के कदमों का इस्तेमाल राजनीतिक या चुनावी लाभ पाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
साल 2024 के लोक सभा चुनावों के दौरान संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच मतभेद की अटकलों की पृष्ठभूमि में संघ ने कहा कि सब कुछ ठीक है लेकिन संघ ने इस बात पर जोर दिया कि यह संगठन का विशेषाधिकार है कि वह अपने प्रचारकों और स्वयंसेवकों को भाजपा में विभिन्न क्षमता के आधार पर सेवा के लिए भेजता है या नहीं।
जातिगत जनगणना को लेकर संघ का समर्थन विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कुछ घटक दलों जैसे कि जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर से देश भर में जातिगत जनगणना कराने की मांग की पृष्ठभूमि में आया है।
केरल के पलक्कड़ में संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए संगठन के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि हिंदू समाज के लिए जाति और जातिगत संबंध बेहद संवेदनशील मुद्दा है और यह देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
आंबेकर ने कहा कि संघ का मानना है कि कुछ समुदाय और जातियां पिछड़ रही हैं जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को डेटा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह एक स्थापित प्रक्रिया रही है। उन्होंने कहा, ‘पहले भी इसने (सरकार) ऐसे डेटा लिए हैं और अब भी यह ऐसा कर सकती है। लेकिन यह सब समुदायों और जातियों के कल्याण के मकसद से किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल चुनावों के राजनीतिक उपकरण के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।’
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने जातिगत जनगणना की मांग की लेकिन भाजपा नेतृत्व ने चार जातियों के कल्याण की बात की जिसमें महिलाएं, गरीब, किसान और युवा शामिल हैं। पहले भाजपा ने विपक्ष की इस मांग पर आरोप लगाया कि यह हिंदू समाज को बांटना चाहती है लेकिन उनकी पार्टी उन्हें एकजुट करना चाहती है। हालांकि लोक सभा चुनावों के नतीजे के बाद विपक्ष की जातिगत जनगणना की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया में मौन रही है।
इस बैठक में हाल में उच्चतम न्यायालय के उस आदेश पर भी चर्चा की गई जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उप-वर्गीकरण की बात कही गई थी और इस पर यह राय थी कि संबंधित समुदायों की सहमति के बिना कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। भाजपा के कुछ सहयोगी विशेषतौर पर लोजपा (रामविलास) ने अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण का विरोध किया था हालांकि इस मुद्दे पर भाजपा ने चुप्पी साधे रखा। आंबेकर की इस टिप्पणी से अंदाजा मिलता है कि यह इस मुद्दे पर सहमति बनाना चाहती है और संगठन ने भी पिछले कुछ दशकों में दलितों से लगातार संपर्क बनाने का काम किया है।
आंबेकर ने कहा कि तीन दिवसीय बैठक में संघ ने तमिलनाडु में हो रहे कथित धर्मांतरण के मुद्दे पर भी चर्चा की। आंबेडकर ने इसे चिंताजनक भी बताया। संघ ने सरकार से गुजारिश की कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ संवाद करे। संघ की बैठक में पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना की निंदा भी की गई। आंबेकर ने कहा कि कानून में संशोधन करने की जरूरत है ताकि शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं को तुरंत न्याय मिल सके।